चुलकाना धाम मे बर्बरीक ने दिया था शीश का दान, Barbarik donated his head in Chulkana Dham

हरियाणा के पानीपत जिले में समालखा कस्बे से लगभग पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है चुलकाना धाम. इस स्थान का सम्बन्ध सतयुग, त्रेता युग तथा द्वापर युग से जुड़ा है. इस गाँव का सम्बन्ध त्रेतायुग युग में महर्षि चुनकट और द्वापर युग में बर्बरीक से रहा है.

Chulkana dham history and story

आज का चुलकाना ग्राम कभी एक सम्पन्न एवं समृद्धशाली नगर था और दूर दूर तक इसके व्यापारिक सम्बन्ध थे. त्रेता युग में यहाँ के जंगल में एक तपस्वी महर्षि चुनकट (chunkat) का आश्रम था और थोड़ी दूरी पर चक्रवर्ती सम्राट चक्वाबैन मान्धता (chakvabain mandhata) की राजधानी थी.

एक बार राजा ने यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया और महर्षि चुनकट को आने का निमंत्रण भेजा. महर्षि ने अपने उपवास का हवाला देकर जाने से मन कर दिया. राजा ने इसे अपना अपमान समझकर महर्षि को युद्ध के लिए ललकारा.

महर्षि ने राजा को युद्ध ना करने के लिए समझाया. जब राजा नहीं माना तो उन्होंने राजा और उसकी सम्पूर्ण सेना को परास्त किया. राजा का घमंड टूट गया और उसने महर्षि से माफी मांगी.

Why Chulkana is famous?

कहते हैं कि इन्हीं चुनकट ऋषि की कर्मभूमि होने के कारण इस गाँव का नाम चुलकाना पड़ा. इन्ही चुनकट ऋषि को आज लकीसर बाबा के नाम से भी जाना जाता है.

द्वापर युग में जब महाभारत का युद्ध हुआ था तब इसी भूमि पर घटोत्कच पुत्र बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपना शीश दान कर दिया था.

घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक को महादेव की आराधना के फलस्वरूप तीन चमत्कारी बन प्राप्त हुए थे. इन्ही बाणों की वजह से इन्हें तीन बाण धारी कहा जाता है.

महाभारत के युद्ध में ये हारने वाले पक्ष का साथ देने के उद्देश्य से नीले घोड़े पर बैठकर कुरुक्षेत्र में आए. कई जगह इनके घोड़े का नाम लीला भी बताया जाता है और इसी वजह से इन्हें लीला के असवार की संज्ञा भी दी जाती है.

श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का वेश बनाकर इनकी परीक्षा के स्वरुप एक बाण से पीपल के पेड़ के सभी पत्तों को छेदने के लिए कहा जिसे बर्बरीक ने पूरा कर दिया.

Barbareek donated his head to krishna

ब्राह्मण बने कृष्ण ने दान स्वरुप बर्बरीक से अपना शीश माँगा जिसे बर्बरीक ने दान कर दिया. कृष्ण ने बर्बरीक को कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया.

चुलकाना धाम में मौजूद पीपल के पेड़ की तुलना महाभारत काल के उस पेड़ से की जाती है जिसके पत्तों को बर्बरीक ने छेद दिया था. इस पीपल पेड़ के पत्तों में आज भी छेद बताए जाते हैं.

Shri shyam mandir seva samiti chulkana

वर्ष 1989 में इस मंदिर के उद्धार हेतु कमेटी गठित की गई एवं यहाँ पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया. मंदिर में श्री श्याम के साथ विभिन्न देवताओं की मूर्तियाँ हैं. साथ ही श्याम भक्त बाबा मनोहर दास जी की समाधि भी स्थित है.

कहा जाता है कि बाबा मनोहर दास ने ही सबसे पहले श्याम बाबा की पूजा अर्चना की थी. वैरागी परिवार की 18वीं पीढ़ी मंदिर की देख रेख में लगी हुई है. मंदिर में एक कुंड भी बनाया गया है.

श्याम बाबा के मंदिर में हर एकादशी को जागरण होता है. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी व द्वाद्वशी को श्याम बाबा के दरबार में विशाल मेलों का आयोजन किया जाता है जिनमे दूर दराज से लाखों की तादाद में भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं.

मेले वाले दिन श्रद्धालु समालखा से चुलकाना गाँव तक पैदल यात्रा करते हैं. रास्ते में जगह-जगह विशाल भंडारों का आयोजन किया जाता है.

Contact details of shyam mandir chulkana dham

Shri Shyam Mandir Seva Samiti
Chulkana, Hariyana, 132101
Phone number - 9354915740, 9813088488

Written By

Uma Vyas {MA (Education), MA (Public Administration), MA (Political Science), MA (History), BEd}

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