यहाँ पर नारद मुनि ने की थी तपस्या

यहाँ पर नारद मुनि ने की थी तपस्या - Nardeshwar Mahadev Mandir Udaipur, इसमें उदयपुर के नारदेश्वर या नांदेश्वर महादेव के मंदिर की जानकारी दी गई है।

Nardeshwar Mahadev Mandir Udaipur

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आज हम आपको एक ऐसे स्थान पर ले जाने वाले हैं जहाँ पर नारद ऋषि ने कई वर्षों तक तपस्या की थी, यहाँ पर जल के अंदर साक्षात महादेव विराजे हुए हैं।

इस स्थान पर माँ गंगा पूरे वर्ष अविरल रूप से बहती रहती है। यह स्थान कई संत महात्माओं की तपस्या स्थली है जिनमें से कुछ तो आज भी जिंदा समाधि के रूप में यहाँ निवास करते हैं।

तो आज हम नारद मुनि की इस तपस्या स्थली की यात्रा करते हैं और जानते हैं यहाँ का इतिहास। तो आइए शुरू करते हैं।

नारदेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा और विशेषता - Visit and specialty of Nardeshwar Mahadev Temple


सफेद रंग का यह मंदिर बहुत प्राचीन है। इसके दरवाजे पर दो हाथी खड़े हैं। मंदिर के बाहर एक जल कुंड बना हुआ है। इस जल कुंड में पूरे वर्ष पानी भरा रहता है।

कुंड में नहाना गंगा में नहाने के समान माना जाता है। इस कुंड से आगे कुछ समाधियाँ बनी हुई है जो शायद समय-समय पर यहाँ तपस्या करने वाले संतों की हैं।

मंदिर में गर्भगृह के अंदर स्वयंभू महादेव जल से भरी जलहरी में विराजे हुए हैं। इस जलहरी की सबसे खास बात यह है कि हर वर्ष इसमें भरे जल के लेवल को देखकर बारिश का पूर्वानुमान लगाया जाता है।

गर्भगृह के बगल में एक कुंड बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि इसमें भी कभी भी जल का स्तर कम नहीं होता है। कुंड में कई जीव एक साथ रहते हैं जिनमें मछलियाँ, कछुआ और साँप आदि शामिल हैं।

मंदिर में तीन महात्माओं की जिंदा समाधियाँ बनी हुई हैं। एक समाधि पर संतों के चरण बने हुए हैं। दो समाधियाँ एक साथ बनी हुई हैं।


एक साथ बनी हुई ये दो समाधियाँ संत राजगिरी और संत अमरगिरि बर्फानी की हैं। संत राजगीरी महाराज ने वर्ष 1964 में और संत अमरगिरि बर्फानी ने वर्ष 2009 में एक ही तिथि यानी श्रावण सुदी ग्यारस के दिन जिंदा समाधि ली थी

मंदिर परिसर में ही राम, लक्ष्मण और सीताजी का मंदिर बना हुआ है। इसके साथ एक दूसरा शिवालय और मौजूद है।

अरण्या पर्वत की 12 कोस की पैदल परिक्रमा - 12 Kos Parikrama of Aranya mountain


नारदेश्वर महादेव मंदिर के पास में ही अरण्या (Aranya) पर्वत है जिसके चारों तरफ 12 ज्योतिर्लिंग हैं। हर सोमवती अमावस को इसकी 12 कोस की पैदल परिक्रमा लगती है।

यह परिक्रमा नारदेश्वर महादेव मंदिर से शुरू होती है, इसके बाद उन्दरी के केदारेश्वर महादेव से होकर वापस नारदेश्वर महादेव मंदिर में आकर समाप्त होती है।

नारदेश्वर या नांदेश्वर झील - Nardeshwar or Nandeshwar Lake

नारदेश्वर महादेव मंदिर के सामने थोड़ा आगे यह झील बनी हुई है। यहाँ से यह पानी एक नदी के रूप में सीसारमा गाँव होते हुए पिछोला झील में जाता है।

इसे सीसारमा नदी भी कहा जाता है। इस नदी में रायता की पहाड़ियों की तरफ से बहकर आने वाली नदी का पानी भी मिल जाता है।

बारिश के मौसम में इस झील से बहने वाली नदी में लोग नहाने और मस्ती करने के लिए पहुँच जाते हैं। यह नदी नारदेश्वर महादेव मंदिर के सामने सड़क के दूसरी तरफ से होकर बहती है।

नारदेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास - History of Nardeshwar Mahadev Temple


प्राचीन काल से ही यह मंदिर संत महात्माओं की तपस्या स्थली रहा है। यहाँ पर नारद मुनि ने भी तपस्या की है जिसकी वजह से इसे नारदेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

समय के साथ इसका नाम नारदेश्वर महादेव से बदलकर नांदेश्वर महादेव (Nandeshwar Mahadev) हो गया। अब ज्यादातर लोग इसे नांदेश्वर महादेव नाम से ही जानते हैं।

बताया जाता है कि इस मंदिर के बारे में शिव पुराण में भी वर्णन है। यहाँ पर अविरल गंगा बहती है। सर्दी, गर्मी, बरसात सभी मौसम में इसका पानी एक जैसा ही रहता है यानी यह पानी ना तो बढ़ता है और ना ही घटता है।

ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार विक्रम संवत 1684 यानी 1627 ईस्वी में मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा कर्ण सिंह ने करवाया था। उसके बाद मंदिर की ढंग से देखरेख संत अमरगिरि बर्फानी के समय में हुई।

नारदेश्वर महादेव मंदिर के पास घूमने की जगह - Places to visit near Nardeshwar Mahadev Temple


नारदेश्वर महादेव मंदिर के पास अगर घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप अलसीगढ़, पोपल्टी और रायता की पहाड़ियों के साथ सज्जनगढ़ का महल देख सकते हैं।

नारदेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Nardeshwar Mahadev Temple?


नारदेश्वर महादेव का मंदिर नाई गाँव में उदयपुर झाड़ोल हाईवे पर बना हुआ है। उदयपुर रेलवे स्टेशन से यहाँ की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है।

उदयपुर रेल्वे स्टेशन से यहाँ पर जाने के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं। एक रास्ता शहर के अंदर से जगदीश मंदिर होकर सज्जनगढ़ वाले रास्ते से आगे रामपुरा चौराहे से लेफ्ट टर्न करके जाता है।

दूसरा रास्ता उदयपुर रेलवे स्टेशन से गोवर्धन विलास होते हुए बलीचा से आगे अमरगढ़ रेसॉर्ट के पास से झाड़ोल हाईवे की तरफ राइट टर्न लेने के बाद है। यह रास्ता शहर के बाहर से है और मंदिर तक नेशनल हाईवे है।

एक तीसरा रास्ता पिछोला झील के पास दूध तलाई के बगल से पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क के आगे से जंगल सफारी पार्क के सामने से सीसारमा गाँव होकर जाता है।

इन तीनों रास्तों में सबसे बढ़िया रास्ता झाड़ोल हाईवे वाला ही है। दूसरा रास्ता आप तब चुन सकते हो जब आप सज्जनगढ़ की तरफ गए हुए हों।

अगर आपको शिवजी के दर्शनों के साथ झील और नदी को भी एक साथ देखना है तो आपको बारिश के मौसम में इस जगह पर जरूर जाना चाहिए।

तो आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

नारदेश्वर महादेव की मैप लोकेशन - Map location of Nardeshwar Mahadev



नारदेश्वर महादेव का वीडियो - Video of Nardeshwar Mahadev



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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I am a registered pharmacist. I am a Pharmacy Professional having M Pharm (Pharmaceutics). I also have MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA and CHMS. Usually, I travel at hidden historical heritages to feel the glory of our history. I also travel at various beautiful travel destinations to feel the beauty of nature. I write religious articles related to temples and spiritual places specially Khatu Shyamji also.

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