सूरज की दिशा में घूम जाता है ये शिवलिंग

सूरज की दिशा में घूम जाता है ये शिवलिंग - Maleshwar Mahadev Mandir Samod, इसमें सामोद के पास महारकला गाँव के मालेश्वर महादेव मंदिर की जानकारी है।

Maleshwar Mahadev Mandir Samod

{tocify} $title={Table of Contents}

जयपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर चौमू-अजीतगढ़ रोड पर सामोद कस्बे से लगभग 3-4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है महार कला गाँव। कई धरोहरों तथा घटनाओं को अपने अन्दर समेटे हुए यह गाँव ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

इस गाँव के मुख्य बस स्टैंड से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर मालेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। लगभग 50 फीट ऊँचाई पर बना यह मंदिर तीन तरफ से अरावली की सुरम्य पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

इस मंदिर के आसपास बहुत से प्राचीन खंडहरों के अवशेष आज भी मौजूद हैं जो इसकी प्राचीनता का जीता जागता सबूत हैं। प्राकृतिक दृष्टि से यह इलाका नदी, नालों, गुफाओं तथा जंगलों से भरा हुआ है।

यह स्थान बहुत से तपस्वियों की भूमि रहा है जिनमें भगवान परशुराम का भी नाम लिया जाता है। बारिश के मौसम में यह स्थान अत्यंत रमणीक स्थल में बदल जाता है तथा मंदिर के आसपास प्राकृतिक झरने बहने लग जाते हैं।

इन झरनों की वजह से यहाँ का नजारा अत्यंत मनमोहक हो जाता है। इस मंदिर के आस पास प्राकृतिक रूप से निर्मित चार कुंड मौजूद हैं। इन कुंडो के बारे में कहा जाता है कि इनमें बारह महीने पानी भरा रहता है तथा ये कभी भी खाली नहीं होते हैं।

चार कुंडों में से मंदिर के नीचे स्थित शिव कुंड का जल भगवान की पूजा अर्चना, अभिषेक आदि के काम आता है, दूसरा पुरुष तथा तीसरा महिलाओं के स्नान के काम आता है।

चौथा कुंड पहाड़ी पर ऊँचाई पर स्थित है। ये कुण्ड मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों, सवामणी तथा अन्य धार्मिक कार्यों के लिए प्रमुख जलस्रोत के रूप में काम आते हैं।

इस स्थान को पौराणिक बताया जाता है, जिसका उल्लेख शिव पुराण में भी है। कहा जाता है कि यह गाँव पौराणिक काल में राजा सहस्रबाहु की माहिषपुरी या महिशमति नगरी हुआ करती थी। इसी वजह से इस मंदिर का नाम मालेश्वर महादेव मंदिर पड़ा।


इस मंदिर का नाम मालेश्वर होने का एक अन्य कारण यह भी है कि यह मंदिर तीन तरफ से अरावली की जिन सुरम्य पहाड़ियों से घिरा हुआ है उन्हें मलयागिरी के नाम से जाना जाता है।

कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण संवत 1101 में माचेडी महाराज के परिवार ने करवाया था जिसमें स्वयंभू लिंग विराजमान है। स्वयंभू लिंग का मतलब यह शिवलिंग पहाड़ी शिला को तोड़कर स्वयं प्रकट हुआ है।

स्वयंभू शिवलिंग की भी अपनी एक कथा है जिसके अनुसार पास ही के गाँव माचेड़ी के एक व्यापारी की गायों का झुण्ड इस स्थान पर चरने के लिए आता था। जिस स्थान पर आज शिवलिंग है उस जगह एक जाल का पेड़ हुआ करता था।

झुण्ड की एक गाय उस जाल के पेड़ के नीचे आती थी तो उस गाय के थनों में से अपने आप दूध बहने लग जाता था। इस बात का पता लगने पर व्यापारी भी बड़ा आश्चर्यचकित हुआ।

उसी रात उस व्यापारी को भगवान ने स्वप्न में दर्शन देकर जाल के पेड़ के नीचे प्रकट होने की इच्छा जताई। बाद में प्रदोष काल में सोमवार के दिन महादेव स्वयंभू लिंग के रूप में यहाँ प्रकट हुए।

यह शिवलिंग सूर्य की गति के अनुसार घूमने की वजह से देश भर में अनूठा है। जैसा कि सबको पता है कि सूर्यदेव वर्ष में छह माह में उत्तरायण और छह महीने दक्षिणायन दिशा में होते हैं।

कहा जाता है कि यह शिवलिंग जब सूर्य उत्तरायण में होता है तो उत्तर दिशा और जब सूर्य दक्षिणायन में होता है तो दक्षिण दिशा में झुक जाता है।

यह शिवलिंग भूतल से लगभग 2 फीट की ऊँचाई तक है। जिस जलहरी में यह स्थित है उसमें जल का स्तर एक निश्चित ऊँचाई तक ही होता है चाहे इसमें कितना भी जल डाला जाए।

मंदिर परिसर में दुर्गा माता, श्रीराम, लक्ष्मण और माता जानकी विराजित है और हर्षनाथ भैरव इस मंदिर के बाहर क्षेत्रपाल की भूमिका में है। परिसर में संतों का पवित्र धूणा भी मौजूद है।

कहा जाता है कि मुगलकाल में बादशाह औरंगजेब के समय इस मंदिर को भी तोड़ा गया था जिसके प्रमाणस्वरूप शेषनाग की शैया पर माता लक्ष्मी के साथ विराजमान भगवान विष्णु की खण्डित मूर्ति आज भी मौजूद है।

कहा जाता है कि शिवलिंग को भी खंडित करने की कोशिश हुई थी परन्तु पहाड़ी से मधुमक्खियों के हमले के कारण सफलता नहीं मिली। बाद में मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ-साथ इस पर गुंबद व शिखर का भी निर्माण हुआ।

मालेश्वर महादेव मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Maleshwar Mahadev Mandir



मालेश्वर महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Maleshwar Mahadev Mandir



सोशल मीडिया पर हमसे जुड़ें (Connect With Us on Social Media)

घूमने की जगहों की जानकारी के लिए हमारा व्हाट्सएप चैनल फॉलो करें
घूमने की जगहों की जानकारी के लिए हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I am a registered pharmacist. I am a Pharmacy Professional having M Pharm (Pharmaceutics). I also have MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA and CHMS. Usually, I travel at hidden historical heritages to feel the glory of our history. I also travel at various beautiful travel destinations to feel the beauty of nature. I write religious articles related to temples and spiritual places specially Khatu Shyamji also.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने