लक्ष्मण झूले पर उतरा था पुष्पक विमान - Lakshman Jhula Ramdarbar Sevantri

लक्ष्मण झूले पर उतरा था पुष्पक विमान - Lakshman Jhula Ramdarbar Sevantri, इसमें सेवन्त्री में गोमती नदी के उद्गम स्थल पर लक्ष्मण झूले की जानकारी है।

Lakshman Jhula Ramdarbar Sevantri

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आपने लक्ष्मण झूले का नाम तो सुना ही होगा, यह झूला उत्तराखंड के ऋषिकेश में गंगा नदी के ऊपर झूलता हुआ एक पैदल पुल है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने जूट की दो रस्सियों से एक पुल बनाकर इस नदी को पार किया था, जिसकी वजह से इसका नाम लक्ष्मण झूला पड़ा।

भारत में इस लक्ष्मण झूले का प्रभाव इतना ज्यादा पड़ा है कि जब भी किसी नदी पर कोई झूलता पैदल पुल बनता है तो उसे लक्ष्मण झूला ही कहा जाता है।

आज हम आपको गोमती नदी के ऊपर बने हुए लक्ष्मण झूले के साथ इस नदी के उद्गम स्थल के बारे में जानकारी देने वाले हैं, तो आइए शुरू करते हैं। 

लक्ष्मण झूले की यात्रा और विशेषता - Tour and Speciality of Laxman Jhula Sevantri


गोमती नदी के उद्गम स्थल पर एक छोटा बाँध यानी ऐनिकट बना हुआ है। इस ऐनिकट को रामदरबार ऐनिकट कहा जाता है।

इस ऐनिकट को भरने वाली गोमती नदी के ऊपर एक झूलता हुआ पैदल पुल बना हुआ है जिसे लक्ष्मण झूला कहा जाता है। लोहे के तारों से बना यह पुल काफी मजबूत दिखाई देता है।

जब हम इस पुल पर चलकर इसके बीच में जाते हैं तो यह पुल हमें झूलता हुआ सा लगता है। पुल के बीच में जाकर देखने पर चारों तरफ बड़ा सुंदर नजारा दिखाई देता है।

बारिश के मौसम में चारों तरफ हरे भरे पहाड़ और उनके बीच में से बहती हुई गोमती नदी बहुत सुंदर लगती है। ऐसा लगता है कि जैसे हम देवलोक में आ गए हों।

झूले के दोनों किनारों से देखने पर झूले के बीचों बीच एक तरफ गणेश मंदिर तो दूसरी तरफ रोकड़िया हनुमान मंदिर के स्वर्गीय महंत की छतरी दिखाई देती है।

लक्ष्मण झूले के अलावा ऐनिकट के ऊपर से भी पैदल चलकर नदी के दूसरी तरफ जाने का रास्ता बना हुआ है। इस रास्ते को रामपुल कहा जाता है।

रामपुल से नदी पार करके दूसरी तरफ जाने पर सामने संतों की प्रतिमा के साथ उनकी चरण पादुकाएं स्थापित की हुई हैं।

ऐसा बताया जाता है कि इस लक्ष्मण झूले को रोकड़िया हनुमान मंदिर के महंत स्वामी नारायणदास जी के अनुरोध पर आमेट के आगरिया ठिकाने की तरफ से बनवाया गया था।


जब रोकड़िया हनुमान मंदिर के महंत नारायणदास महाराज की 105 वर्ष की उम्र में मृत्यु हुई तो उनका अंतिम संस्कार इसी लक्ष्मण झूले के पास में ही हुआ।

दरअसल यह क्षेत्र मोक्ष धाम के रूप में काम आता रहा है। यहाँ कई साधु संतों का अंतिम संस्कार हुआ है, जिनकी यादगार, आज भी छतरियों और चरण पादुकाओं के रूप में मौजूद है।

रामपुल के सामने की तरफ थोड़ा आगे रामदरबार मंदिर है। राम दरबार में भगवान राम और माता सीता सिंहासन पर बैठे हैं, इनके एक तरफ लक्ष्मणजी और दूसरी तरफ भरतजी खड़े हैं। नीचे हनुमानजी और शत्रुघ्न जी बैठे हैं।

रामदरबार मंदिर के सामने यानी ऐनिकट के बगल में श्री गोमती रामेश्वर महादेव मंदिर बना हुआ है। मंदिर में प्राचीन चतुर्मुखी शिवलिंग स्थापित है।

मंदिर के आसपास घनी हरियाली है। जब ऐनिकट का पानी ओवरफ्लो हो जाता है तो वह गोमती नदी के रूप में मंदिर के सामने से बहता है।

सेवंत्री का इतिहास - History of Sevantri


ऐसा बताया जाता है कि लंका में रावण को मारने के बाद जब राम, लक्ष्मण और सीता पुष्पक विमान से अयोध्या जा रहे थे, तब उनका विमान कुछ समय के लिए इस स्थान पर उतरा था।

इस जगह पर सीता माता के हाथ से सेवंत्री नाम का एक फूल गिर गया था जिसकी वजह से इस स्थान का नाम सेवंत्री पड़ गया।

गोमती नदी का उद्गम स्थल - Origin of Gomti River


लक्ष्मण झूले के अलावा यह स्थान गोमती नदी का उद्गम स्थल होने की वजह से काफी प्रसिद्ध है। राजसमंद झील को भरने वाली गोमती नदी, सेवंत्री में लक्ष्मण झूला राम दरबार बाँध के आस पास की पहाड़ियों से निकलती है।

यह नदी अपने उद्गम से निकलकर लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करके राजसमंद झील में मिलती है। राजसमंद झील का निर्माण 17वीं शताब्दी में मेवाड़ के महाराणा राज सिंह ने करवाया था।

लक्ष्मण झूले के पास घूमने की जगह - Places to visit near Laxman Jhula Sevantri


अगर लक्ष्मण झूले के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप चारभुजा नाथ का मंदिर, सेवन्त्री का रूपनारायण मंदिर, रोकड़िया हनुमान मंदिर आदि देख सकते हैं।

लक्ष्मण झूले तक कैसे जाएँ? - How to reach Laxman Jhula Sevantri?


अब हम बात करते हैं कि इस लक्ष्मण झूले तक कैसे जाएँ? यह लक्ष्मण झूला राजसमंद जिले के सेवन्त्री कस्बे से थोड़ा पहले बना हुआ है।

जब हम गढ़बोर के चारभुजा मंदिर से सेवन्त्री के रूपनारायण मंदिर के लिए जाते हैं तो यह लक्ष्मण झूला सेवन्त्री से थोड़ा पहले सड़क के किनारे पर ही बना हुआ है।

गढ़बोर के चारभुजा मंदिर से यहाँ की दूरी लगभग 7 किलोमीटर, राजसमंद से लगभग 47 किलोमीटर और उदयपुर से लगभग 110 किलोमीटर है।

उदयपुर रेलवे स्टेशन से लक्ष्मण झूले तक जाने के लिए आपको नाथद्वारा, राजसमंद, गोमती चौराहा, गढ़बोर होते हुए जाना होगा।

अगर आप पहाड़ों के बीच धार्मिक जगह पर घूमने के शौकीन हैं तो आपको प्राकृतिक सुंदरता से भरी हुई मेवाड़ की इस महत्वपूर्ण जगह को जरूर देखना चाहिए।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

लक्ष्मण झूले की मैप लोकेशन - Map Location of Laxman Jhula Sevantri



लक्ष्मण झूले का वीडियो - Video of Laxman Jhula Sevantri



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I love to see old historical monuments closely, learn about their history and stay close to nature. Whenever I get a chance, I leave home to meet them. The monuments that I like to see include ancient forts, palaces, stepwells, temples, chhatris, mountains, lakes, rivers etc. I also share with you the monuments that I see through blogs and videos so that you can also benefit a little from my experience.

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