झरने के पास विराजे हैं महादेव - Keleshwar Mahadev Mandir Udaipur

झरने के पास विराजे हैं महादेव - Keleshwar Mahadev Mandir Udaipur, इसमें उदयपुर के पास केलेश्वर महादेव के मंदिर और झरने के बारे में जानकारी दी गई है।

Keleshwar Mahadev Mandir Udaipur

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भोलेनाथ ऐसी-ऐसी दुर्गम जगहों पर विराजते हैं कि वहाँ जाने पर इनके दर्शन के साथ-साथ पर्यटन भी अपने आप ही हो जाता है। भोलेनाथ के अधिकांश स्थान आस्था और पर्यटन के संगम होते हैं।

आज हम आस्था और पर्यटन के ऐसे ही संगम स्थल को देखेंगे जहाँ पर प्राचीन समय से विराजित भोलेनाथ के दर्शनों के साथ-साथ जंगल की प्राकृतिक सुंदरता को देखने का मौका भी मिलेगा।

यहाँ पर तीन बहते हुए झरने भी हैं जिनमें से एक झरना तो लगभग 150 फीट की ऊँचाई से बह रहा है। इसके अलावा यहाँ पर आने के लिए रास्ते में दो घाटियाँ भी पार करनी पड़ती है जिस वजह से मजा और बढ़ जाता है।

तो आज हम पहाड़ों के बीच जंगल के अंदर स्थित महादेव के ऐसे ही एक मंदिर में चलते हैं जहाँ पर घनी हरियाली के साथ झरने के रूप में बहता पानी इसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देता है। तो आइए शुरू करते हैं।

केलेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा और विशेषता - Visit and specialty of Keleshwar Mahadev Temple


पहाड़ों के बीच स्थित होने की वजह से महादेव के इस मंदिर तक जाने के लिए जो सड़क बनी है वो टेढ़ी मेढ़ी यानी सर्पिलाकार है। इस सड़क पर सफर करने का अपना एक अलग ही मजा है।

मंदिर तक पहुँचने के लिए दो खतरनाक घाटियों को पार करना पड़ता है। इन घाटियों के चारों तरफ बियाबान जंगल है। रास्ते में सड़क के दोनों तरफ बाँस के जंगल के साथ हर तरफ घने पेड़ ही पेड़ दिखाई देते हैं।

मंदिर तक जाने के लिए तीन चार किलोमीटर कच्ची और पथरीली सड़क से जाना होता है। मंदिर में पहुँचने के बाद सुकून महसूस होता है क्योंकि यहाँ पर गहरी शांति है।

यहाँ पर आपको पेड़ों के पत्तों की आवाज के साथ सिर्फ झरने के पानी की कल-कल के अलावा किसी भी तरह का कोई शोर सुनाई नहीं देता है।

सामने एक बरसाती नाले के किनारे पर भोलेनाथ का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर को काफी प्राचीन माना जाता है। मंदिर के अंदर शिवलिंग के रूप में साक्षात भोलेनाथ विराजमान है।

मंदिर के पास में ही भैरव बाबा का स्थान बना हुआ है। मंदिर के पीछे की तरफ यहाँ रहने वाले साधु संतों के लिए निवास स्थान बना हुआ है।

बारिश के मौसम में मंदिर के सामने से झरने के रूप में गिरता हुआ पानी एक नाले के रूप में मंदिर के बगल से बहकर आगे मानसी वाकल बाँध में चला जाता है।

ऐसा बताते हैं कि किसी समय इस क्षेत्र में केले के पेड़ों की भरमार थी जिस वजह से महादेव के इस मंदिर को केलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

केलेश्वर महादेव का झरना - Keleshwar Mahadev Waterfall


केलेश्वर महादेव में कुल तीन झरने बहते हैं। ये तीनों झरने एक ही झरने के अलग-अलग जगह पर गिरने से बनते हैं। इन तीनों झरनों में सबसे बड़ा आकर्षण सबसे ज्यादा ऊँचाई से गिरने वाले झरने का है।

सबसे पहला झरना तो मंदिर के बिल्कुल सामने की तरफ ही है। यह झरना ज्यादा ऊँचाई से नहीं गिरता है लेकिन यह भी काफी सुंदर लगता है।

झरने के आगे भरा हुआ पानी इतना ज्यादा साफ है कि इसमें मछलियाँ भी पैदा हो जाती है। बहुत से लोग तो इसी झरने में स्नान करके भोलेनाथ के दर्शन करते हैं।

बाकी के दो झरने देखने के लिए हमें नाले के बगल से पहाड़ पर ऊपर चढ़ना पड़ता है। ऊपर एकदम सूनसान रास्ता है। दूसरा झरना ऊपर थोड़ा सा आगे जाने पर राइट साइड में नीचे उतरने पर दिखाई देता है।


तीसरे झरने तक जाने के लिए थोड़ा और आगे जाना पड़ता है। जब हम झरने के पास पहुँचते हैं तो हमारी सारी थकान गायब हो जाती है।

ऊपर से गिरता पानी ऐसे लगता है जैसे पहाड़ के ऊपर से सफेद दूध की धारा नीचे गिर रही हो। यहाँ का नजारा बड़ा ही मनमोहक लगता है। बारिश के मौसम में इस झरने के आस पास काफी ज्यादा भीड़ रहती है।

इस झरने का उद्गम स्थल पहाड़ के ऊपर एनिकट के रूप में भरा हुआ पानी है। वहाँ पर जाने के लिए आपको बछार गाँव के पास से ऊपर घाटी पर जाना होगा।

इस घाटी की चढ़ाई काफी घुमावदार और खतरनाक है। ऊपर जाने पर आपको वो एनिकट दिखाई देता है जहाँ से बहकर यह पानी केलेश्वर के झरने के रूप में नीचे गिरता है।

केलेश्वर महादेव मंदिर के पास घूमने की जगह - Places to visit near Keleshwar Mahadev Temple


अगर हम केलेश्वर महादेव के पास में घूमने की बात करें तो आप ऊबेश्वर महादेव, चंदवास महादेव, मानसी वाकल बाँध, रायता और अलसीगढ़ की पहाड़ियाँ आदि देख सकते हैं।

बारिश के मौसम में इस पूरे क्षेत्र में सघन हरियाली रहती है और जगह-जगह पर झरने बहते रहते हैं। इसके साथ इन टेढ़ी मेढ़ी सड़कों पर बिना किसी मकसद के सफर करना भी बड़ा मजेदार है।

केलेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Keleshwar Mahadev Temple?


अब बात करते हैं कि केलेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ?

केलेश्वर महादेव मंदिर की उदयपुर रेलवे स्टेशन से दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। केलेश्वर महादेव का मंदिर बछार गाँव से पहले पहाड़ों की तलहटी में स्थित है।

यहाँ जाने के लिए आपको धार गाँव से आगे घाटी चढ़कर ऊबेश्वर महादेव मंदिर के तिराहे तक जाना होगा। यहाँ पर मंदिर की तरफ ना घूमकर सीधे आगे जाना है। रास्ते में आपको सड़क के दोनों तरफ बाँस के जंगल भी दिखाई देते हैं।

इसके बाद कुछ किलोमीटर आगे जाने के बाद लेफ्ट साइड में पिपलिया हिल्स की तरफ ना जाकर सीधा आगे जाना है और घाटी से नीचे उतरना है।

आगे डोडावली और सुराना गाँव होते हुए बछार से पहले बोराओ का खेड़ा के पास लेफ्ट साइड में टर्न लेना है। यहाँ पर आपको सड़क के किनारे पर केलेश्वर महादेव के लिए साइन बोर्ड भी दिख जाता है।

इस जगह से आगे लगभग तीन किलोमीटर तक कच्ची और पथरीली सड़क पर जाना होता है। बाइक से आसानी से जाया जा सकता है वैसे कार से भी ज्यादा दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

यहाँ पर रायता की पहाड़ियों से होकर भी आया जा सकता है। आप रायता की पहाड़ियों से अलसीगढ़ रोड पर आगे राइट साइड में टर्न लेकर केलेश्वर वाली घाटी उतरने के बाद बछार होते हुए आ सकते हो।

अगर आप पहाड़ों में घूमने के शौकीन हो और आपको शिव दर्शन के साथ झरना देखना पसंद है तो आपको बारिश के मौसम में यहाँ जरूर जाना चाहिए।

तो आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

केलेश्वर महादेव की मैप लोकेशन - Map location of Keleshwar Mahadev



केलेश्वर महादेव का वीडियो - Video of Keleshwar Mahadev



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I love to see old historical monuments closely, learn about their history and stay close to nature. Whenever I get a chance, I leave home to meet them. The monuments that I like to see include ancient forts, palaces, stepwells, temples, chhatris, mountains, lakes, rivers etc. I also share with you the monuments that I see through blogs and videos so that you can also benefit a little from my experience.

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