एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बना राहगीर? - Journey of Musician Rahgir

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बना राहगीर? - Journey of Musician Rahgir, इसमें एक इंजीनियर के घुमक्कड़ गायक और म्यूजिशियन बनने तक के सफर की जानकारी दी है।

Journey of Musician Rahgir

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शौक और जरूरत में बड़ा फर्क होता है, जरूरत अपने साथ मजबूरियों को जन्म देती हैं जबकि शौक हमेशा खुशियाँ ही पैदा करता है।

अधिकतर लोगों का प्रथम लक्ष्य किसी विषय विशेष की पढ़ाई कर फिर उसी से सम्बंधित क्षेत्र में ही अपना भविष्य बनाने का होता है।

बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई किसी एक क्षेत्र विशेष में की हो तथा अपना भविष्य किसी अन्य क्षेत्र में तलाशा हो।

बहुत कम लोग लीक से हटकर चलने का जज्बा पैदा कर पाते हैं परन्तु अगर ढूँढा जाये तो कुछ लोग जरूर मिल जाते हैं। लीक से हटकर चलने वाली ऐसी ही एक शख्सियत है सीकर जिले के खंडेला कस्बे के पास में स्थित एक छोटे से गाँव महरों की ढाणी निवासी सुनील कुमार गुर्जर।

सुनील के पिताजी का नाम श्री राजेंद्र कुमार तथा माताजी का नाम श्रीमती सुकरी देवी है। इनके पिताजी भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं तथा माताजी गृहिणी हैं।

सुनील ने अपनी प्रारंभिक से लेकर बारहवीं तक की शिक्षा खंडेला में अर्जित की तथा उसके पश्चात उच्च शिक्षा के लिए पंजाब स्थित जालंधर चले गए।

वहाँ इन्होंने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (ईसीई) में इंजीनियरिंग की बैचलर डिग्री हासिल की।

डिग्री करने के पश्चात इन्हें पुणे में दुनिया की सबसे बड़ी मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी कंसलटेंट कंपनी एक्सेंचर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के बतौर अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी मिल गई।

सुनील को बचपन से ही लेखन तथा संगीत का बहुत शौक रहा है परन्तु धीरे-धीरे यह शौक एक जुनून की शक्ल लेने लग गया परिणामस्वरूप उनके अन्दर का कलाकार उन्हें लगातार झिंझोड़ने लगा। कहते हैं कि कला का जज्बा कृत्रिम रूप से पैदा नहीं किया जा सकता है, यह नैसर्गिक होता है।

जिस प्रकार हीरे को पैदा नहीं किया जा सकता है ठीक उसी प्रकार कला को भी किसी में पैदा नहीं किया जा सकता है उसे तो बस सिर्फ हीरे की माफिक तराशा ही जा सकता है।

जिस प्रकार कीचड़ में कमल खिल उठता है, जिस प्रकार सड़क किनारे फुटपाथ पर थोड़ी सी जगह में दूब की कोंपल फूट जाती है, ठीक उसी प्रकार कला का अंकुरण कही भी तथा कभी भी हो सकता है।

सुनील को लगने लगा कि उन्हें इस दुनिया में उस तरह से नहीं जीना है जिस तरह से साधारणतः सभी लोग जीते हैं। उन्हें कुछ ऐसा करना है कि दुनिया उन्हें तथा उनके जन्म स्थान को उनके बाद भी पहचाने।

इस प्रकार सुनील ने अपने आप से यह वादा किया कि उन्हें अंगूर की तरह मुलायम और कमजोर नहीं बने रहना है जो हलके से दबाव में बिखर जाता है बल्कि उन्हें हीरे की तरह कठोर और चिरस्थायी रूप से चमकदार बनकर जीवन की कठिनाइयों से लड़ते हुए समाज को अपनी कला के प्रकाश से प्रकाशित करना है।


किसी ने सच कहा है कि जब तक सोना तपता नहीं है तब तक कुंदन नहीं बन पाता है। शांत तथा सुखप्रद जीवन को त्यागकर अनिश्चित तथा संघर्ष पूर्ण जीवन को स्वीकारने का साहस बहुत कम लोगों में होता है।

सुनील ने दृढ़ निश्चय कर अपनी लगभग डेढ़ वर्ष पुरानी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया तथा अपने शौक को ही अपना जुनून तथा पेशा बनाने की दिशा में कदम उठा लिए।

सुनील बहुमुखी प्रतिभा के धनी वो इंजीनियर हैं जो लेखक होने के साथ-साथ गायक, वादक तथा संगीतकार के रूप में अपनी भूमिका को बखूबी निभा रहे हैं।

एक तरफ जहाँ ये एक लेखक के रूप में राहगीर नाम से कविताएँ, गीत, लेख, कहानियाँ आदि लिखते हैं दूसरी तरफ ये उन्हीं कविताओं और गीतों को संगीत की माला में पिरोकर खुद गिटार बजाकर सुरीले रूप में लोगों के सम्मुख पेश करते हैं।

राहगीर नाम से लिखने के बारे में ये स्पष्ट करते हैं कि हम सब राही हैं जिन्हें जीवन की अनिश्चित राहों में अपनी-अपनी इच्छित मंजिल की तलाश में भटकना पड़ता है तथा उनके लिखे गीत मंजिल प्राप्त करने तक के सफर में हुए सभी प्रकार के खट्टे मीठे अनुभवों के बारे में बताते हैं।

मात्र 24 वर्ष की आयु में सुनील एक परिपक्व लेखक की तरह अपनी कलम से बहुत ही सार्थक और मार्मिक गाने लिखते हैं। ये गाने एक सन्देश देते हुए सीधे लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं।

प्यार, जिंदगी, जंग, महिला उत्पीड़न, शांति जैसे कई मुद्दों पर लिखी हुई इनकी कविताएँ बहुत प्रचलित हैं। इन्हें फूहड़ तथा भद्दे बोल वाले गानों से सख्त नफरत है।

वर्तमान में सुनील पुणे, महाराष्ट्र में रहकर नियमित रूप से कैफेज, क्लब्स, विद्यालयों और संस्थानों में अपने संगीत के माध्यम से सकारात्मक सन्देश दे रहे हैं।

सुनील एक उपन्यास भी लिख रहे हैं जिसका नाम “आहिल” है तथा शीघ्र प्रकाशित होकर सभी के पठन के लिए उपलब्ध होने वाला है।

सुनील कई भाषाओं में अच्छी पकड़ रखते हैं जिस वजह से इन्हें राजस्थानी, पंजाबी, हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी आदि भाषाओं में गीत, गजल, कविता तथा कहानी लिखने में बहुत मदद मिल जाती है।

संगीत और लेखन के अतिरिक्त इन्हें भ्रमण तथा यात्रा का बहुत शौक है। अभी फिलहाल इन्होंने सात राज्यों का भ्रमण करते हुए अपने गीत सुनाकर सामाजिक सद्भावना का सन्देश दिया।

जल्दी ही अपनी अगली यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे सुनील का मानना है कि अगले दो साल में वो सम्पूर्ण भारत की यात्रा कर लेंगे।

सुनील की चर्चा महाराष्ट्र के समाचार पत्रों तथा रेडियो पर होती रहती है। इनका इरादा मुंबई जाकर बॉलीवुड में अपनी कला का प्रदर्शन करने का है।

वे अपने मित्रों तथा अपने प्रशंसकों को सन्देश देते हुए कहते हैं कि जब तक उन्हें मित्रों और चाहने वालों का दुलार मिलता रहेगा उन्हें कुछ नया तथा अच्छा करने से कोई रोक नहीं सकता।

हम सभी लोग क्षेत्र के इस प्रतिभाशाली गायक, लेखक, संगीतकार, गीतकार तथा वादक के उज्ज्वल भविष्य की कामना इस उम्मीद के साथ करते हैं कि ये अपने क्षेत्र में इतनी तरक्की करें कि भविष्य में इस क्षेत्र की पहचान इनके नाम से हो।

घुमक्कड़ गायक और म्यूजिशियन का वीडियो - Video of Travelling Musician Rahgir



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Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I am a registered pharmacist. I am a Pharmacy Professional having M Pharm (Pharmaceutics). I also have MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA and CHMS. Being a healthcare professional, I want to educate people to live a healthy life by providing health education to them. I also aware people about their lifestyle and eating habits by providing healthcare and wellness tips. Being a creator, I provide useful healthcare information in the form of articles and videos on various topics such as physical, mental, social and spiritual health, lifestyle, eating habits, home remedies, diseases and medicines. Usually, I travel at hidden historical heritages to feel the glory of our history. I also travel at various beautiful travel destinations to feel the beauty of nature.

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