श्रीकृष्ण की इस मूर्ति को पूजती थी मीराबाई

श्रीकृष्ण की इस मूर्ति को पूजती थी मीराबाई - Jagat Shiromani Mandir Amer Jaipur, इसमें भगवान कृष्ण के साथ मीराबाई वाले मंदिर की जानकारी दी गई है।

Jagat Shiromani Mandir Amer Jaipur

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आपने कृष्ण भक्त मीराबाई का नाम तो सुना ही होगा जो भगवान कृष्ण की एक प्रतिमा को हमेशा अपने साथ रखकर उनकी भक्ति में मगन होकर भजन गाते हुए जोगन हो गई थी।

आपके दिमाग में ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि मीराबाई की मृत्यु के बाद उस प्रतिमा का क्या हुआ होगा। हम आपके इस सवाल का जवाब देते हुए आपको बताते हैं कि भगवान कृष्ण की वो प्रतिमा अब कहाँ है।

भगवान कृष्ण की वो प्रतिमा अब एक मंदिर में स्थापित है जिसमें भगवान कृष्ण की उस प्रतिमा का विवाह मीराबाई की प्रतिमा के साथ करवाकर इन दोनों की प्रतिमा को मंदिर स्थापित किया गया।

मूल रूप से भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है जिसमें भगवान विष्णु के साथ भगवान कृष्ण और मीराबाई की मूर्ति स्थापित है।

इस मंदिर में कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है जिनमें अक्षय कुमार की भूल भुलैया और जाह्नवी कपूर की धड़क शामिल हैं।

तो आज हम लगभग सवा चार सौ साल पुराने इस अनोखे मंदिर की यात्रा करके इसके इतिहास को समझते हैं, आइए शुरू करते हैं।

जगत शिरोमणि मंदिर की यात्रा और विशेषता - Visit and specialty of Jagat Shiromani Temple


इस मंदिर को जगत शिरोमणि मंदिर या फिर मीरा मंदिर के नाम से जाना जाता है। मूल रूप से यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित था जिसमें आज भी भगवान विष्णु की प्रतिमा मौजूद है और मंदिर के बाहर मंडप में इनके वाहन गरुड़ विराजमान हैं।  

मंदिर एक ऊँची जगती यानी चबूतरे पर बना है जिसको बनाने में लाल बलुआ पत्थर (Red Sandstone) और संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है। 

मंदिर के एंट्री गेट पर संगमरमर का एक भव्य तोरण द्वार बना हुआ है जिस पर कई देवी देवताओं की सुंदर मूर्तियाँ उकेरी हुई हैं।

तोरण द्वार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे मकराना के संगमरमर की एक ही शिला से बनाया गया है। तोरण द्वार के दोनों तरफ दो हाथी बने हुए हैं जो अपनी सूंड में घंटी लेकर बजा रहे हैं।

ऐसा बताया जाता है कि जब इस मंदिर में भगवान कृष्ण का विवाह मीराबाई से करवाया गया था, तब इस तोरण द्वार पर दूल्हे द्वारा तोरण मारने की रस्म को भी निभाया गया था।

तोरण द्वार से अंदर जाते ही सामने एक ऊँचे प्लेटफॉर्म पर तीन मंजिला भव्य मंदिर बना हुआ है जिसके दरवाजे के सामने गरुड़ मंडप बना हुआ है। गरुड़ मंडप को गरुड़ छतरी भी कहते हैं।


संगमरमर से बना हुआ मंडप काफी भव्य है जिसके चारों तरफ देवी देवताओं और अप्सराओं की कलात्मक मूर्तियाँ बनी हुई हैं। मंडप में गरुड़ की भव्य प्रतिमा मौजूद है।

मंदिर का निर्माण महामेरु शैली में हुआ है जिसमें एक ऊँचे प्लेटफॉर्म (अधिष्ठान) पर बने इस सुशोभित मंदिर में गर्भगृह, अंतराल और दोनों तरफ जालीनुमा खिड़कियों वाला मंडप मौजूद है।

मंदिर का शिखर तीन मंजिल का है जो अपने पास कुछ छोटे शिखरों (उरुश्रृंगों - मुख्य शिखर से जुड़े लघु शिखर या आधे शिखर) और किनारों पर कुछ शिखरों (कर्णश्रृंगों - कोने के शिखर) से सजा हुआ है।

गर्भगृह के बाहर का तीनों तरफ का हिस्सा देवी देवताओं और अप्सराओं की मूर्तियों से सुशोभित है। ये मूर्तियाँ इतनी भव्य और कलात्मक हैं कि इनकी सुंदरता देखते ही बनती है।

मंदिर के गर्भगृह के अंदर भगवान विष्णु की प्रतिमा लगी हुई है। इस प्रतिमा के आगे भगवान कृष्ण के साथ मीराबाई की प्रतिमा मौजूद है। ये सभी प्रतिमाएँ काफी भव्य और सुंदर हैं।

गर्भगृह की द्वार शाखा यानी चौखट पर देवी देवताओं की काफी प्रतिमाएँ बनी हुई हैं जिनमें एक ही पत्थर पर भगवान विष्णु के दस अवतारों की मूर्तियाँ काफी सुंदर हैं।

गर्भगृह के बाहर फर्श पर लगाए गए पत्थरों के ऊपर पुराने लेख लिखे हुए हैं जिनसे पता चलता है कि मंदिर की मरम्मत के समय इन शिलालेखों को दीवार की जगह फर्श में लगा दिया गया है।

फर्श पर लगे होने के कारण इन शिलालेखों की लिखावट बहुत ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएगी और कुछ सालों में ही मंदिर के बारे में प्रामाणिक जानकारी देने वाले ये ऐतिहासिक शिलालेख घिस-घिस कर नष्ट हो जाएँगे।

मंदिर का सभामंडप दो मंजिल का है जिसके दोनों तरफ छोटे-छोटे मंडप बने हुए है। इन छोटे मंडपों में जालीनुमा खिड़कियाँ बनी हुई हैं।

मंडप की दीवारों और छत पर सुंदर भित्ति चित्र बने हुए हैं। मंडप में मौजूद स्तंभों पर अप्सराओं की कलात्मक मूर्तियाँ लगी हुई हैं।

मंदिर में रियासत काल की एक पालकी भी रखी हुई है जिसमें बिठाकर कृष्ण और मीराबाई की प्रतिमा को तीज और गणगौर के समय मीराबाई के पीहर यानी सिटी पेलेस लेकर जाया जाता था।

मंदिर के अंदर और बाहर की दीवारों पर लाल पत्थर के बीच बहुत सी जगह सफेद रंग भी लगा हुआ है। इसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि औरंगजेब के समय जब मंदिरों को तोड़ा जा रहा था ,तब इस मंदिर के अंदर और बाहर सभी जगह सफेद रंग कर दिया गया था ताकि दूर से ये मंदिर जैसी ना लगे।

मुगल काल के बाद जब इस सफेद रंग को हटवाने के लिए मजदूरों से घिसाई करवाई गई तो ये सफेद रंग पूरी तरह से नहीं उतर पाया और कई जगह आज भी नजर आता है।

जगत शिरोमणि मंदिर का इतिहास - History of Jagat Shiromani Temple


अगर हम जगत शिरोमणि मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो इस मंदिर का इतिहास चार सौ साल से भी ज्यादा पुराना है।

इस मंदिर का निर्माण 1608 ईस्वी में आमेर के महाराजा सवाई मानसिंह की पत्नी रानी कनकावती ने अपने पुत्र कुँवर जगत सिंह की याद में करवाया था। मंदिर का निर्माण कार्य 1599 ईस्वी में शुरू हुआ जिसे पूरा होने में 9 साल का समय लगा।

भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर का नाम जगत शिरोमणि रखा गया ताकि कुँवर जगत सिंह को आने वाली पीढ़ियाँ हमेशा याद कर सके।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा के आगे भगवान कृष्ण के साथ उनकी पत्नी के रूप में मीराबाई की प्रतिमा मौजूद है।

ऐसा बताया जाता है कि भगवान कृष्ण ये प्रतिमा वही है जिसे मीराबाई बचपन से अपने साथ रखकर इनके प्रेम में जोगन बन गई थी। मीराबाई भगवान कृष्ण की इसी प्रतिमा की पूजा किया करती थी।

अब आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि मीराबाई तो चित्तौड़ के किले में रहा करती थी तो फिर ये प्रतिमा आमेर के इस मंदिर में कैसे आई।

इस बारे में ऐसा बताया जाता है कि 1568 ईस्वी में मुगल बादशाह अकबर के चित्तौड़ पर अधिकार करने के बाद जब मानसिंह चित्तौड़ गए थे तब वे इस प्रतिमा को खंडित होने से बचाकर आमेर लेकर आए।

कुछ वर्षों तक इस प्रतिमा की सेवा पूजा आमेर के महल में ही हुई लेकिन जब रानी कनकावती ने कुँवर जगत सिंह की याद में भगवान विष्णु का मंदिर बनवाया तब इस इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया।

भगवान कृष्ण की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करने से पहले राजा मानसिंह ने इस प्रतिमा का विवाह मीराबाई की प्रतिमा से सम्पन्न करवाया।

इस काम के लिए राजा मान सिंह ने मीराबाई को अपनी बहन स्वीकार करके इनकी अष्टधातु की एक प्रतिमा बनवाई और इस मंदिर में मीराबाई की प्रतिमा का विवाह भगवान कृष्ण की प्रतिमा के साथ करवाया।

विवाह के समय मंदिर में भगवान कृष्ण की बारात आई और मंदिर के तोरण द्वार पर भगवान कृष्ण की प्रतिमा से तोरण मारने की रस्म भी पूरी करवाई गई। मीराबाई की प्रतिमा को पालकी में बिठाकर मंदिर में लाया गया जहाँ इनका भगवान कृष्ण के साथ विवाह करवाया गया।

इस विवाह के बाद भगवान कृष्ण और मीराबाई की प्रतिमा को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया। जयपुर राजपरिवार ने मीरा के पीहर पक्ष की भूमिका निभाकर मीराबाई के गिरधर गोपाल को दामाद के रूप में स्वीकार किया।

आजादी के पहले तक जिस तरह विवाह के बाद तीज और गणगौर पर बेटी अपने पीहर आती है ठीक उसी तरह मीराबाई भी अपने पीहर यानी सिटी पेलेस आया करती थी।

इसके लिए जयपुर राजदरबार अपनी बेटी और दामाद यानी मीराबाई और भगवान कृष्ण की प्रतिमा को साल में दो बार गणगौर और तीज के मौके पर सिटी पेलेस लेकर आते थे। आजादी के बाद ये परंपरा बंद हो गई।

जगत शिरोमणि मंदिर के पास घूमने की जगह - Places to visit near Jagat Shiromani Mandir


अगर हम जगत शिरोमणि मंदिर के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप पन्ना मीणा कुंड, अंबिकेश्वर महादेव मंदिर, बिहारीजी मंदिर, सागर झील और आमेर महल देख सकते हैं।

जगत शिरोमणि मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Jagat Shiromani Mandir?


अब हम बात करते हैं कि जगत शिरोमणि मंदिर कैसे जाएँ? यह मंदिर जयपुर के आमेर में आमेर के महल की तरफ जाने वाली रोड़ पर बना हुआ है।

जयपुर रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। इस मंदिर तक आप कार या बाइक से जा सकते हैं। यहाँ जाने के लिए आपको जयपुर रेलवे स्टेशन से जलमहल होते हुए आमेर महल तक आना होगा।

अगर आप कार से आ रहे हैं तो आपको आमेर महल से आगे पहले चौराहे से थोड़ा आगे तिराहे से लेफ्ट लेकर अनोखी म्यूजियम से लेफ्ट साइड में पन्ना मीणा कुंड तक आना है।

यहाँ से आगे आमेर महल की तरफ जाने वाली रोड़ पर राइट साइड में मुड़कर थोड़ा आगे जाते ही लेफ्ट साइड में रोड़ पर ही यह मंदिर है।

मंदिर से वापस जाते समय आपको मंदिर से निकल कर राइट साइड में सीधा चलकर मुख्य सड़क के चौराहे पर आना है। फिर यहाँ से राइट टर्न लेकर आमेर महल के सामने वाली सड़क से वापस जलमहल होते हुए स्टेशन आना है।

किसी भी परेशानी से बचने के लिए ध्यान रखें कि अगर आप कार से जा रहे हैं तो आमेर महल के आगे से जाने का रास्ता अलग है और आने का अलग है।

अगर आप ऐतिहासिक महत्व के धार्मिक स्थलों को देखने में रुचि रखते हैं तो आपको भगवान विष्णु और कृष्ण के साथ मीराबाई की सुंदर प्रतिमा वाले इस मंदिर को जरूर देखना चाहिए।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

जगत शिरोमणि मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Jagat Shiromani Mandir



जगत शिरोमणि मंदिर का वीडियो - Video of Jagat Shiromani Mandir



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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I am a registered pharmacist. I am a Pharmacy Professional having M Pharm (Pharmaceutics). I also have MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA and CHMS. Usually, I travel at hidden historical heritages to feel the glory of our history. I also travel at various beautiful travel destinations to feel the beauty of nature. I write religious articles related to temples and spiritual places specially Khatu Shyamji also.

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