श्मशान में विराजते हैं मसानिया भैरव - Bheruji Mandir Reengus, इसमें राजस्थान के रींगस कस्बे के चमत्कारी मसानिया भैरव मंदिर के बारे में जानकारी दी है।
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राजस्थान में रींगस कस्बा भैरव मंदिर की वजह से अपनी एक अलग पहचान रखता है। इस कस्बे में भैरोजी का प्राचीन मंदिर स्थित है।
यहाँ पर राजस्थान के साथ-साथ बंगाल, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि जगह के लाखों श्रद्धालु प्रति वर्ष अपने आराध्य के दर्शनों के लिए आते हैं।
यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर रींगस कस्बे से पहले भैरूजी मोड़ पर स्थित है। जयपुर से यहाँ की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। मुख्य सड़क से मंदिर की दूरी लगभग 100 मीटर है।
साक्षात काल भैरव का स्वरूप माना जाने वाला यह मंदिर श्मशान के बीच में स्थित है। श्मशान में स्थित होने की वजह से इन्हें मसानिया भैरू (मसाणिया भैरू) के नाम से भी जाना जाता है।
बताया जाता है कि पाँच छः वर्ष पूर्व यहाँ मंदिर की जगह मात्र एक चबूतरा ही भैरूजी का स्थान था। पिछले पाँच वर्षों में मंदिर का नवनिर्माण हुआ है। अब मंदिर को भव्य बनाया गया है।
मंदिर की आंतरिक दीवारों पर काँच की आकर्षक नक्काशी की गई है। साथ ही जगह-जगह भगवान शिव के विभिन्न रूपों के सुन्दर चित्र बने हुए हैं।
मंदिर के पुजारी फूलचंद गुर्जर के अनुसार लगभग पाँच सौ वर्ष पूर्व इनके पूर्वज मंडोर जोधपुर से यहाँ आकर बसे थे। उन्होंने ही यहाँ पर भैरवजी को थरपा था।
ये लोग गुर्जर प्रतिहार वंश से सम्बन्ध रखते हैं और पिछली तेरह पीढ़ियों से भैरूजी की सेवा पूजा में लगे हुए हैं।
इन्होंने बताया कि जो भी कोई सच्चे मन से यहाँ आता है उसकी सभी मनोकामनाएँ अवश्य पूरी होती है। जिन दम्पतियों के संतान नहीं होती उन्हें यहाँ आने पर संतान की प्राप्ति हो जाती है। साथ ही शारीरिक दुःख दर्दों से भी मुक्ति मिलती है।
मंदिर के पास में ही एक जोहड़ है। इस जोहड़ में नहाने से सारे चरम रोगों से मुक्ति मिल जाती है साथ ही जिस औरत के संतान नहीं होती उसको संतान की प्राप्ति हो जाती है।
मंदिर के पुजारी के साथ-साथ कुछ श्रद्धालुओं ने भी मंदिर में मनोकामना पूर्ण होने की बात की पुष्टि की। यहाँ पर नव विवाहित जोड़ों की शादी की जात के साथ-साथ बच्चों का मुंडन संस्कार भी किया जाता है।
मंदिर के साथ कुछ रोचक तथ्य भी जुड़े हुए हैं। पुजारी के अनुसार इस मंदिर का सम्बन्ध सती माता के साथ भी जुड़ा हुआ है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1669 में सती माता अपनी शादी के बाद यहाँ धोक देने आई थी। यहाँ हुए एक युद्ध में उनके पति का देहांत हो गया था उसके पश्चात वो सती हो गई थी।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारत के उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरो सिंह शेखावत का जन्म भी भैरव बाबा की कृपा से हुआ था जिसकी वजह से उनका नाम भैरव बाबा के नाम पर रखा गया।
जयपुर से कई बार लोकसभा सांसद रहे स्वर्गीय गिरधारी लाल भार्गव अपने चुनाव का परिणाम भैरव बाबा के सामने बैठ कर ही सुनते थे।
खाटूश्यामजी जाने वाले भक्त भी अकसर यहाँ दर्शन करने आते हैं। कई श्रद्धालु अपनी खाटू की पदयात्रा यहीं से प्रारंभ करते हैं।
वैसे तो प्रत्येक रविवार को यहाँ पर काफी श्रद्धालु आते हैं परन्तु भाद्रपद एवं वैशाख के शुक्ल पक्ष में रविवार के दिन को बड़ा वार्षिक मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं।
मंदिर चौबीसों घंटे खुला रहता है और कोई भी श्रद्धालु कभी भी भैरव बाबा के दर्शन कर सकता है।
रींगस के भेरुजी की मैप लोकेशन - Map Location of Ringas Ke Bheruji
रींगस के भेरुजी का वीडियो - Video of Ringas Ke Bheruji
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