पहाड़ों में छिपी हुई जयपुर की शानदार झील - Sagar Lake Amer Jaipur

पहाड़ों में छिपी हुई जयपुर की शानदार झील - Sagar Lake Amer Jaipur, इसमें आमेर की पहाड़ियों में जयपुर की एक मुख्य झील सागर लेक के बारे में जानकारी है।

Sagar Lake Jaipur

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आज हम आपको पिंकसिटी में एक ऐसी जगह की विज़िट करवाने वाले हैं जो हरियाली की चादर ओढ़े पहाड़ों के बीच में प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है।

चारों तरफ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों की खोह में बनी हुई ये जगह ऐतिहासिक होने के साथ-साथ ऐसा दर्शनीय स्थल है जहाँ पर कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।

जैसे ही आप इस जगह पर पहुँचते हैं तो प्रकृति के बीच में सुंदर पहाड़ और झील के रूप में हिलोरे मारते पानी को देखते ही आपका मन खुशी से भर जाता है।

तो आज हम राजस्थान की राजधानी जयपुर में मौजूद इस शानदार जगह की यात्रा करते हैं और इसके इतिहास से भी परिचित होते हैं। आइए शुरू करते हैं।

सागर झील की यात्रा और विशेषता - Sagar Lake Tour and Features


आज हम जिस जगह की यात्रा करने वाले हैं उसे सागर झील या हनुमान सागर झील के नाम से जाना जाता है। यह झील आमेर के पहाड़ों के बीच की खोह में बनी हुई है।

इस जगह के दर्शनीय स्थलों में कालिका माता और कालेश्वर महादेव मंदिर, बड़ा और छोटा सागर, पौंड्रिक गुरु चरण मंदिर, खाकी के बालाजी, शिव मंदिर आदि मुख्य हैं।

कालिका माता और कालेश्वर महादेव मंदिर - Kalika Mata and Kaleshwar Mahadev Temple


जब हम सागर झील की पार्किंग पर आते हैं तो हमें लेफ्ट साइड में एक मंदिर दिखाई देता है जिसे कालिका माता और कालेश्वर महादेव के मंदिर के नाम से जाना जाता है।

मंदिर काफी पुराना लगता है जिसमें कालिका माता की काले पत्थर की प्रतिमा विराजित है। पास में ही भोलेनाथ भी विराजमान है।

बड़ा सागर - Bada Sagar or Nichala Sagar


जैसे ही हम सीढ़ियाँ चढ़कर पाल के ऊपर जाते हैं तो सागर झील का बड़ा सुंदर नजारा दिखाई देता है। झील की पाल काफी बड़ी है। पाल के ऊपर Rectangular Shape में दो छतरियाँ बनी हुई हैं।

झील पानी से लबालब भरी हुई है जिसमें हवा की वजह से धीमी लहरें दिखाई देती रहती हैं। कुछ दिनों पहले यह झील पूरी भरकर छलक गई थी। झील के पूरा भरकर छलक जाने को मोरी लगना भी कहते हैं।

पिछली बार इस झील की मोरी 13 साल पहले लगी थी यानी 13 साल पहले यह झील पूरी तरह से भरकर छलक उठी थी। साल 2018 में तो इस झील की हालत ऐसी हो गई थी कि इसमें एक बूंद भी पानी नहीं बचा था।

उस समय इस झील को देखकर ये यकीन करना भी काफी मुश्किल था कि इस जगह पर कोई झील भी रही होगी। दरअसल यह झील मानसून में बारिश के पानी से ही भरती है और जब बारिश अच्छी होती है तब ही यह झील पूरी तरह से भर पाती है।

सागर झील दो हिस्सों में बँटी हुई है जिसमें एक हिस्सा ऊपरी यानी छोटा सागर और दूसरा हिस्सा निचला यानी बड़ा सागर कहलाता है।

दोनों हिस्सों को अगर ध्यान से देखें तो ये डमरू जैसी आकृति के लगते हैं। अगर बड़े सागर को देखें तो यह Rectangular Shape का दिखाई देता है।

बड़े सागर के बीच में एक टापू है जिस पर काफी घनी हरियाली है। जब झील का पानी सूख जाता है तब यह ढंग से नजर आता है।

टापू पर एक बहुत बड़ा और ऊँचा चबूतरा बना हुआ है जिसके बीच में एक छोटा चबूतरा है जो संभवतः कोई समाधि है। झील से इस चबूतरे के ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई है।


बड़े सागर की पाल के लेफ्ट साइड में पहाड़ी के ऊपर छतरी तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई है। पहाड़ी के ऊपर जाकर देखने पर चारों तरफ का बहुत ही शानदार दृश्य दिखाई देता है।

अभी झील के पूरी भर जाने की वजह से आप इधर से आगे नहीं जा सकते क्योंकि इस रास्ते में पानी भरा हुआ है। जब झील में पानी कम होता है तब आप इधर से आगे जा सकते हो।

जब पानी नहीं हो तब इधर से थोड़ा आगे जाने पर इस जगह को जयगढ़ के किले से जोड़ने वाला परकोटा बना हुआ है। परकोटे के बीच में सीढ़ियाँ बनी हुई है। पुराने समय में जयगढ़ से सागर झील तक आने का यह एक रास्ता था।

पाल के राइट साइड में झील के Overflow हो जाने के बाद पानी निकलने के लिए रास्ता बना हुआ है। जब झील का पानी Overflow होकर बहता है तब यह पानी किसी झरने की तरह नीचे गिरता है।

पाल के बगल से थोड़ा आगे जाने पर एक बड़ा नाला बना हुआ है। बारिश के मौसम में ऊपर पहाड़ से झरने के रूप में जो पानी नीचे गिरता है वह इस नाले के द्वारा झील में आ जाता है।

यहाँ से थोड़ा आगे जाने पर राइट साइड में पहाड़ के ऊपर चौहड़े के हनुमानजी की तरफ जाने का रास्ता बना हुआ है। थोड़ा आगे एक छतरी बनी हुई है जो शायद किसी की समाधि है।

पौंड्रिक गुरु चरण मंदिर - Poundrik Guru Charan Mandir


आगे जाने पर आपको छोटे सागर की पाल दिखाई देती है जिसके बीच में एक दो मंजिल का Construction दिखाई देता है। नीचे की मंजिल पर एक कमरा और उसके सामने बरामदा बना हुआ है और इसके ऊपर एक बारादरी बनी हुई है।

नीचे के कमरे और ऊपर बारादरी तक जाने के लिए पाल के दोनों तरफ सीढ़ियाँ बनी हुई है। बारादरी से छोटा और बड़ा सागर दोनों का दूर-दूर तक शानदार नजारा दिखाई पड़ता है।

नीचे वाले कमरे को पौंड्रिक गुरु चरण मंदिर बताया जाता है। इसमें आमेर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय के गुरु रत्नाकर पौंड्रिक के चरण स्थापित हैं। पास में ही थोड़ा नीचे एक चबूतरे पर पत्थर का स्तम्भ लगा हुआ है जहाँ शायद इनकी समाधि है।

ऐसा पता चलता है कि पौंड्रिक गुरु चरण मंदिर का निर्माण 1777 ईस्वी में हुआ था। लेकिन वन विभाग ने ऐसा नहीं माना और अभी हाल ही में इसने इस जगह पर अतिक्रमण बताकर कार्रवाई की थी।

छोटा सागर - Chhota Sagar or Upari Sagar


पौंड्रिक गुरु चरण मंदिर के आगे छोटा सागर है जो अभी पूरा भरा हुआ है। बारिश जब आती है तो सबसे पहले छोटा सागर भरता है, इसके Overflow होने के बाद बड़ा सागर भरता है।

छोटा सागर के बीच में भी एक टापू है जिस तक जाने के लिए पानी के बीच में एक छोटा पुल बना हुआ है। टापू पर जाने के लिए थोड़ा सा ऊपर चढ़ना पड़ता है।

टापू के ऊपर हनुमान जी का एक मंदिर बना हुआ है जिसे खाकी के बालाजी कहा जाता है। हनुमान मंदिर के पास ही एक शिवालय भी बना हुआ है।

यहाँ से चारों तरफ देखने पर छोटा सागर की खूबसूरती दिखाई देती है जिसमें छोटे सागर की पाल से आगे तक की सुंदरता चार चाँद लगा देती है।

सागर झील का इतिहास - History of Sagar Lake


आपको पता ही होगा कि 1727 ईस्वी में जयपुर की स्थापना से पहले कछवाहा राजाओं का मुख्य ठिकाना आमेर हुआ करता था। 

सागर झील का निर्माण आमेर की जनता की पानी की समस्या को खत्म करने के लिए राजा सवाई जयसिंह ने करवाया था। इस झील को सागर बाँध के साथ पानी का विशाल टांका भी कहा जाता है।

झील को इस तरीके से बनाया गया है कि जब ये पूरी तरह भर जाती है तब इसका पानी बहकर कुछ कुओं में चला जाता है ताकि जमीन में पानी का लेवल कम ना हो।

सागर झील में है मगरमच्छ - Crocodiles in Sagar Lake


बारिश के मौसम में यह जगह पिकनिक स्पॉट के साथ ट्रैकर्स की भी पहली पसंद बन जाती है। कई लोग इस झील में नहाने चले जाते हैं और कई लोग झील के किनारे पर घूमते नजर आते हैं।

अभी कुछ समय पहले इस झील से एक मगरमच्छ निकलकर बाहर आ गया था जिसे वन विभाग की टीम ने काफी प्रयास के बाद पकड़ कर दूसरी जगह पर छोड़ा था।

स्थानीय लोग बताते हैं कि झील में अभी दो मगरमच्छ और हैं। वन विभाग ने इस झील में मगरमच्छ होने के बारे में चेतावनी के बोर्ड लगा रखे हैं। अगर आप भी कभी यहाँ जाएँ तो सावधानी बरतें।

सागर झील के पास घूमने की जगह - Places to visit near Sagar Lake


सागर झील के पास घूमने की जगह के बारे में अगर बात करें तो आप पन्ना मीणा कुंड, जगत शिरोमणि मंदिर, अंबिकेश्वर महादेव मंदिर और आमेर का किला देख सकते हैं।

सागर झील कैसे जाएँ? - How to reach Sagar Lake?


सागर झील आमेर के महल के पीछे पहाड़ों की खोह में बनी हुई है। यह झील छिपी हुई है और केवल जयगढ़ के किले से ही नजर आती है।

आमेर महल और इस झील के बीच एक पहाड़ी है जिससे एक रास्ता जयगढ़ और दूसरा रास्ता आमेर महल की तरफ जाता है। इस पहाड़ी से पूरा आमेर कस्बा दिखाई देता है।

जयपुर रेलवे स्टेशन से सागर झील की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। सागर झील तक आप कार या बाइक से जा सकते हैं।

जयपुर रेलवे स्टेशन से आपको जलमहल होते हुए आमेर महल तक आना होगा। अगर आप कार से आ रहे हैं तो आपको आमेर महल से आगे पहले चौराहे से थोड़ा आगे तिराहे से लेफ्ट लेकर अनोखी म्यूजियम के पास खेड़ी गेट को पार करके आगे जाना है।

थोड़ा आगे जाने पर राइट साइड में आपको कुछ छतरियाँ दिखाई देती हैं। आगे लेफ्ट साइड के रास्ते पर थोड़ी चढ़ाई चढ़नी होती है। यह रास्ता सागर लैक की पार्किंग पर जाकर समाप्त हो जाता है।

सागर झील से वापस आते समय आपको ध्यान रखना है कि खेड़ी गेट से पन्ना मीणा कुंड होते हुए आगे लेफ्ट टर्न लेकर मुख्य सड़क के चौराहे पर आना है। फिर यहाँ से राइट टर्न लेकर आमेर महल होते हुए वापस जलमहल होते हुए आना है।

किसी भी परेशानी से बचने के लिए ध्यान रखें कि अगर आप कार से जा रहे हैं तो आमेर महल के आगे से रास्ता जाने का अलग है और आने का अलग है।

अंत में आपको बस इतना ही कहना है कि अगर आप जयपुर में झील और पहाड़ों की प्राकृतिक सुंदरता देखना चाहते हैं तो आपको अभी इस समय आमेर सागर लेक जरूर देखनी चाहिए।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

सागर झील की मैप लोकेशन - Map Location of Sagar Lake Jaipur



सागर झील का वीडियो - Video of Sagar Lake Jaipur



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I love to see old historical monuments closely, learn about their history and stay close to nature. Whenever I get a chance, I leave home to meet them. The monuments that I like to see include ancient forts, palaces, stepwells, temples, chhatris, mountains, lakes, rivers etc. I also share with you the monuments that I see through blogs and videos so that you can also benefit a little from my experience.

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