इनकी तीन पीढ़ियाँ एक साथ हुई कुर्बान - Ram Shah Tomar

इनकी तीन पीढ़ियाँ एक साथ हुई कुर्बान - Ram Shah Tomar, इसमें हल्दीघाटी युद्ध के योद्धा ग्वालियर के राजा राम शाह तोमर के बारे में जानकारी दी गई है।

Ram Shah Tomar

{tocify} $title={Table of Contents}

इतिहास में ऐसा केवल एक ही बार हुआ है जब दादा, बेटा और पोता यानी एक ही वंश और एक ही परिवार की तीन पीढ़ियाँ, एक ही दिन, एक ही स्थान पर, एक ही युद्ध में, एक दूसरे के सामने बलिदान हो गई हो।

यह घटना घटी थी हल्दीघाटी के युद्ध में और इसमें बलिदान होने वाले थे ग्वालियर के राजा राम शाह तोमर। इनके साथ इनके तीन पुत्र शालीवाहन सिंह, भवानी सिंह एवं प्रताप सिंह और इनका पोता 16 वर्षीय बलभद्र सिंह।

इन सभी ने हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ते हुए अपने प्रमुख सहयोगियों दाऊ सिंह सिकरवार, बाबू सिंह भदोरिया एवं सैकड़ों राजपूतों के साथ अपने प्राणों का बलिदान दिया।

हल्दीघाटी के युद्ध में इनके योगदान का सम्मान करते हुए महाराणा प्रताप के पोते और तत्कालीन मेवाड़ के महाराणा करण सिंह ने सन् 1624 ईस्वी में रक्त तलाई में दो छतरियाँ बनवाकर शिलालेख लगवाया।

रक्त तलाई में मौजूद ये छतरियाँ आज भी हल्दीघाटी के युद्ध में घटे उस महान बलिदान की याद दिलाती है।

आपके दिमाग में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि ऐसा बलिदान देने वाले ये वीर, पराक्रमी योद्धा कौन थे? कहाँ से आये थे? निश्चित रूप से आप इन योद्धाओं के बारे में जानना चाहोगे।

बात तब की है जब मुग़ल साम्राज्य की स्थापना करने वाला बाबर हिंदुस्तान में अपने पैर पसार रहा था। इस साम्राज्य विस्तार के लिए बाबर और दिल्ली के सुलतान इब्राहीम लोदी के बीच वर्ष 1526 ईस्वी में पानीपत का युद्ध हुआ।

इस युद्ध में ग्वालियर के राजा मानसिंह के पुत्र विक्रमादित्य ने इब्राहीम लोदी के साथ अपने सहयोगी संबंधों की वजह से उसकी तरफ से लड़ते हुए अपना बलिदान दिया।

पानीपत के युद्ध के बाद मुगलों ने धीरे-धीरे ग्वालियर पर भी अधिकार कर लिया। ऐसे में मात्र 12 वर्ष ही उम्र में ही राम सिंह तोमर को ग्वालियर छोड़कर चम्बल के बीहड़ों में रहना पड़ा।

राम सिंह तोमर ने सन् 1540 से लेकर सन् 1558 तक लगातार 18 वर्षों तक बार-बार ग्वालियर को दोबारा अपने कब्जे में लेने का जी तोड़ प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाए।

सफलता नहीं मिलने पर इन्होंने मुगलों की दासता स्वीकारने की बजाये, अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए चित्तौड़गढ़ के महाराणा उदय सिंह के पास आना बेहतर समझा। महाराणा ने भी पूरे सम्मान के साथ इनका स्वागत किया।


मुगलों के विरुद्ध लगातार 18 वर्षों के उनके संघर्ष को देखते हुए महाराणा उदयसिंह ने इन्हें शाहों का शाह" की उपाधि से सम्मानित किया। इस उपाधि के बाद से राम सिंह तोमर को राम शाह तोमर कहा जाने लगा।

इसके साथ महाराणा उदय सिंह ने इन्हें "ग्वालियर के राजा" के नाम से संबोधित करके इन्हें ग्वालियर के राजा के रूप में मान्यता दी। इसके साथ ही महाराणा ने अपनी एक पुत्री यानी महाराणा प्रताप की एक बहन की शादी राम शाह के बड़े पुत्र शालिवाहन से कर दी।

जब चित्तौड़ के दुर्ग पर अकबर ने अधिकार कर लिया था, तब राम शाह तोमर भी महाराणा उदयसिंह के साथ उदयपुर के पहाड़ों में आ गए।

सन् 1572 में महाराणा उदय सिंह की मृत्यु के बाद महाराणा प्रताप को मेवाड़ की गद्दी पर बिठाने में राम शाह तोमर का मुख्य योगदान रहा।

हल्दीघाटी में आमने-सामने का युद्ध नहीं करने और मुगलों को पहाड़ों के बीच में लाकर युद्ध करने की रणनीति भी राम शाह तोमर ने ही बनाई थी।

हल्दीघाटी के युद्ध में इन्होंने मेवाड़ की सेना के दायें भाग का नेतृत्व किया और युद्ध में मुगलों को भयंकर टक्कर दी।

युद्ध में लड़ते-लड़ते इनके साथ इनके तीनों पुत्र शालीवाहन सिंह, भवानी सिंह एवं प्रताप सिंह और इनके 16 वर्षीय पोते बलभद्र सिंह वीरगति को प्राप्त हुए। बलभद्र सिंह, शालीवाहन सिंह के पुत्र थे।

यह बड़ा दुर्भाग्य पूर्ण है कि इतनी बड़ी शहादत और बलिदान के बाद भी राम शाह तोमर की ना तो इतिहास में ज्यादा पहचान बनी और ना ही इन्हें सम्मानजनक स्थान मिला।

इनका पूरा जीवन 12 वर्ष की उम्र से ही संघर्षों में बीता। इन्होंने अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए चम्बल के जंगलों में भटकते हुए अपनी मातृभूमि ग्वालियर को वापस पाने के लिए मुगलों के खिलाफ लगातार 18 वर्षों तक संघर्ष किया।

महाराणा प्रताप भी इनके इस गुण से काफी प्रभावित थे और उन्होंने भी मरते दम तक मुगलों की गुलामी करना स्वीकार नहीं किया।

राम शाह तोमर ने मेवाड़ में आने के बाद महाराणा उदयसिंह का हमेशा साथ दिया। उदयसिंह की मौत के बाद महाराणा प्रताप का भी पूरी वफादारी से साथ निभाया।

चूँकि राम शाह तोमर 18 वर्षों तक चम्बल के जंगलों में रहकर मुगलों के खिलाफ छापामार तरीके से युद्ध कर चुके थे, इसलिए इन्होंने अपने अनुभव का उपयोग कर महाराणा प्रताप की सेना को भी छापामार तरीके से युद्ध लड़ने की शिक्षा दी।

महाराणा प्रताप शुरू से ही राम शाह तोमर के संघर्ष पूर्ण जीवन से बहुत प्रभावित थे। महाराणा प्रताप ने इनके जीवन के अनुभवों से बहुत कुछ सीखा जिसकी झलक महाराणा प्रताप के जीवन में भी दिखाई देती है।

आप तुलना कीजिये कि जिस तरह से राम शाह तोमर का पूरा जीवन मुगलों से अपनी मातृभूमि को वापस पाने में लड़ते-लड़ते बीत गया, ठीक उसी तरह महाराणा प्रताप का भी पूरा जीवन सम्पूर्ण मेवाड़ को वापस पाने में बीता।

दोनों ही योद्धाओं ने अपने जीवन का ज्यादातर संघर्ष पूर्ण समय जंगल में गुजारा और अंत में अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। मेवाड़ में रहते रहते राम शाह तोमर ने इसे ही अपनी मातृभूमि मान लिया था।

इतना बड़ा बलिदान देने के बाद भी राम शाह तोमर वो वीर योद्धा है जिन्हें ना तो चम्बल में, ना ग्वालियर में, और ना ही मेवाड़ में लोगों ने याद रखा। दरअसल, ग्वालियर का इनसे कभी सीधा सम्बन्ध नहीं रहा, चम्बल इनको छोड़ना पड़ा और मेवाड़ के लिए ये बाहरी ही रहे।

इस तीनों कारणों से इन्हें ना तो ग्वालियर, ना चम्बल और ना ही मेवाड़ में कोई याद रख पाया। अपनी मातृभूमि ग्वालियर और अपने आश्रयदाता मेवाड़ के लिए तीन पीढ़ियों सहित मरने वाले इस वीर को उचित सम्मान जरूर मिलना चाहिए।

राम शाह तोमर का वीडियो - Video of Ram Shah Tomar



सोशल मीडिया पर हमसे जुड़ें (Connect With Us on Social Media)

घूमने की जगहों की जानकारी के लिए हमारा व्हाट्सएप चैनल फॉलो करें
घूमने की जगहों की जानकारी के लिए हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I am a registered pharmacist. I am a Pharmacy Professional having M Pharm (Pharmaceutics). I also have MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA and CHMS. Being a healthcare professional, I want to educate people to live a healthy life by providing health education to them. I also aware people about their lifestyle and eating habits by providing healthcare and wellness tips. Being a creator, I provide useful healthcare information in the form of articles and videos on various topics such as physical, mental, social and spiritual health, lifestyle, eating habits, home remedies, diseases and medicines. Usually, I travel at hidden historical heritages to feel the glory of our history. I also travel at various beautiful travel destinations to feel the beauty of nature.

Post a Comment

Previous Post Next Post