पहियों पर खड़ी दुनिया की सबसे बड़ी तोप - Jaivan Cannon Jaigarh, इसमें जयगढ़ के किले में पहियों पर खड़ी दुनिया की सबसे बड़ी जयवाण तोप की जानकारी दी गई है।
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यूँ तो आपने अपने जीवन में कई जगह अनेक तोपें देखी होगी लेकिन आज हम आपको जिस तोप के सम्बन्ध में बताने जा रहे हैं वैसी तोप आपने ना तो कही देखी होगी और ना ही कही सुनी होगी।
आज हम आपको पहियों पर खड़ी दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे भारी तोप के बारे में बताने जा रहे है। यह तोप जयपुर में जयगढ़ किले के अन्दर स्थित है और इसका नाम है जयवाण। यह तोप अपने आप में एक अजूबा होने के साथ-साथ हमारे पूर्वजों की अनमोल धरोहर है।
वर्तमान में यह तोप जयगढ़ किले के ऊँचाई वाले भाग में एक टीन शेड के नीचे रखी हुई है। इसे देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों टूरिस्ट जयगढ़ किले में आते हैं।
इस विशाल तोप का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1720 ईस्वी में करवाया था। यह तोप पूरी तरह से जयपुर में बनी हुई है जिसका निर्माण जयगढ़ किले में स्थित तोप बनाने के कारखाने में ही हुआ था।
आपको सुनकर बड़ा आश्चर्य होगा कि आज तक किसी भी युद्ध में इस तोप का इस्तेमाल नहीं हो पाया है क्योंकि इसके इस्तेमाल की कभी जरूरत ही नहीं पड़ी।
इसके दो कारण है, एक तो यह तोप काफी बड़ी और वजनदार है जिसकी वजह से इसे किले से दूर कहीं ओर ले जाना संभव नहीं था, दूसरा जयपुर के महाराजाओं के मुगलों से संबंध हमेशा मित्रतापूर्ण रहे हैं जिसकी वजह से इन्हें उनके साथ कभी युद्ध की जरूरत नहीं पड़ी।
यह तोप अपने जीवन काल में सिर्फ एक बार ही चली है और वह भी इसके परीक्षण के समय। जब इसके परीक्षण के समय गोला दागा गया था तब वह गोला यहाँ से लगभग 35 किलोमीटर दूर चाकसू नामक कस्बे में जाकर गिरा।
जिस स्थान पर यह गोला गिरा था, उस स्थान पर गोले की वजह से एक बड़ा तालाब बन गया था। यह तालाब आज भी स्थानीय लोगों के पानी की जरूरत को पूरा करता है।
जयवाण तोप का वजन लगभग 50 टन है। इसे एक चार पहिया गाड़ी में रखा गया है जिसके आगे के दो पहिये काफी बड़े आकार के हैं। आगे के पहियों का व्यास लगभग 9 फीट (2।74 मीटर) और पीछे के पहियों का व्यास लगभग साढ़े चार फीट है।
इसके बैरल यानी नाल की लम्बाई 20।2 फीट (6।15 मीटर) है। बैरल के आगे की नोक के पास की परिधि 7।2 फीट (2।2 मीटर) और पीछे की परिधि 9।2 फीट (2।8 मीटर) है।
बैरल के बोर का व्यास 11 इंच (28 सेंटी मीटर) और छोर पर बैरल की मोटाई 8।5 इंच (21।6 सेंटीमीटर) है। तोप के पीछे से आगे की तरफ मोटाई धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।
इस तोप में काम में लिए जाने वाले गोले भी काफी वजनी होते थे। ऐसा माना जाता है कि एक गोले का वजन लगभग 50 किलो था। तोप को एक बार भरने के लिए लगभग 100 किलो बारूद की आवश्यकता पड़ती थी।
तोप के पीछे के पहियों और उनके निकट लगी रोलिंग पिन की सहायता से इसे ऊपर नीचे करने के साथ-साथ चारों दिशाओं में घुमाया जा सकता है।
इस तोप की मारक क्षमता 22 मील यानी लगभग 35 किलोमीटर मानी जाती है जो इसके परीक्षण से पता चली थी।
यह तोप एक विध्वंसक हथियार होने के बावजूद कला का एक अनूठा नमूना है। तोप की नली पर फूलों की डिज़ाइन उकेरी हुई है। इसके मुहाने पर हाथी, बीच में मोर युगल और पीछे की तरफ बतख युगल उकेरी हुई है।
इसकी नाल को पहियों पर दुबारा रखने का कार्य उन्नीसवीं शताब्दी में महाराजा राम सिंह द्वितीय के कार्य काल में हुआ। इसी समय यहाँ पर एक टीनशेड यानी लोहे के एक छप्पर का निर्माण करवाया गया।
अगर आप जयपुर भ्रमण पर आ रहे हैं तो आपको इस दुर्लभ अजूबे को अवश्य देखना चाहिए।
जयवाण तोप की मैप लोकेशन - Map Location of Jaivan Cannon
जयवाण तोप का वीडियो - Video of Jaivan Cannon
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