जगन्नाथ पुरी से जगदीश पुरी में आए जगदीश जी - Jagdish Mandir Ajeetgarh

जगन्नाथ पुरी से जगदीश पुरी में आए जगदीश जी - Jagdish Mandir Ajeetgarh, इसमें अजीतगढ़ के पास जगदीशपुरी की पहाड़ियों में स्थित जगदीश मंदिर की जानकारी है।

Jagdish Mandir Ajeetgarh

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सीकर जिले में अजीतगढ़ कस्बे के पास में स्थित अरावली की पहाड़ियों में कई दर्शनीय स्थल हैं। आज हम आपको कस्बे के निकटवर्ती जगदीशपुरी गाँव की पहाड़ी पर स्थित जगदीश मंदिर की जानकारी देने के साथ-साथ इसकी यात्रा भी करवाते हैं।

कहते हैं कि जगदीशजी के दर्शन करने के पश्चात जगन्नाथ पुरी जाने की जरूरत नहीं है। भगवान जगन्नाथ स्वयं जगदीशजी के रूप यहाँ विराजमान है। इस स्थान को जगदीश धाम के नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर तक कार या बाइक द्वारा अजीतगढ़ या अमरसर कस्बे से होकर पहुँचा जा सकता है। दोनों ही कस्बों से इस स्थान की दूरी लगभग 7-8 किलोमीटर होगी।

अजीतगढ़ कस्बे से जाने के लिए हमें अजीतगढ़-शाहपुरा मार्ग पर स्थित रीको इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित उप तहसील भवन के सामने से गुजरना होता है।

जगदीशपुरी से मंदिर तक का रास्ता पहाड़ों के बीच से होकर गुजरता है एवं काफी वीरान प्रतीत होता है। सड़क के एक तरफ बरसाती नदी के लिए खाई बनी हुई है। बारिश के दिनों में यह रास्ता काफी मनोरम हो जाता है।


मंदिर से पहले एक प्रवेश द्वार बना हुआ है जिस पर मंदिर से सम्बंधित चित्रकारी की हुई है। इस रास्ते को पार करने के बाद मंदिर वाले पहाड़ की तलहटी आती है।

पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई है। वाहनों के लिए बगल से एक पथरीली कच्ची सड़क बनी हुई है। इस सड़क पर वाहनों का अधिक आवागमन नहीं है।

सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद भगवान जगदीश का मंदिर आता है। मंदिर में भगवान जगदीश साक्षात विराजित होते प्रतीत होते हैं। पहाड़ी के एक अंश को जगदीशजी के रूप में पूजा जाता है। यह भगवान जगदीश का स्वयंभू रूप है।

एक दन्तकथा के अनुसार खोरी गाँव के केशव दास जी महाराज (टीला जी महाराज) काफी बड़े संत थे। ये अपनी चमत्कारिक योग शक्ति से रोजाना जगन्नाथ पुरी जाकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन किया करते थे।

वृद्धावस्था में इन्होंने भगवान जगन्नाथ को जगन्नाथपुरी आने में अपनी असमर्थता जताई। तब भगवान जगन्नाथ ने इन्हें इनके पास प्रकट होने का आश्वासन दिया।

बाद में जगदीशजी के रूप में भगवान जगन्नाथ जगदीशपुरी में इस पहाड़ी पर प्रकट हुए। जिस जगह ये प्रकट हुए थे अभी भी उस जगह इनकी हाथनुमा आकृति बनी हुई है जिसमें से हमेशा पानी बहता रहता है।

भगवान के आदेशनुसार सीपुर गाँव के गुर्जर परिवार से जो सबसे पहले पूजा के लिए अग्नि लेकर आया, वही मंदिर में सेवा पूजा का अधिकारी बना। आज भी उसी परिवार के लोग मंदिर में सेवा पूजा का कार्य करते हैं।

श्री जगदीश धाम विकास सेवा संस्थान की अगुवाई में यहाँ पर भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी व द्वादशी को विशाल मेला भरता है।

प्रत्येक शुक्ल पक्ष की ग्यारस को रात्रि जागरण के साथ भंडारे का आयोजन होता है। साथ ही पीपल पूर्णिमा को पाटोत्सव, गुरुपूर्णिमा एवं शरद पूर्णिमा को भी कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

यह स्थान आसपास के क्षेत्र के कई संतों की तपोस्थली भी रहा है। इन संतों में गंगादास जी, नारायण दास जी, भगवान दास जी, रिछपाल दास जी आदि का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

पहाड़ी की तलहटी में बालाजी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। मंदिर में बालाजी की प्रतिमा के अलावा संतों की तपस्या के लिए धूणा भी बना हुआ है।

मंदिर के पास एक कुआँ है जिसमें दस बारह फीट की गहराई पर ही काफी पानी है। कहते हैं कि इस कुएँ में पानी का स्तर कभी भी कम नहीं होता है।

अगर आप धार्मिक कार्यों के अतिरिक्त पर्यटन में भी रुचि रखते हैं तो आपको इस स्थान की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।

जगदीश मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Jagdish Mandir



जगदीश मंदिर का वीडियो - Video of Jagdish Mandir



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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Ramesh Sharma

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