महाराणा प्रताप के बारे में रोचक तथ्य - Interesting Facts about Maharana Pratap

महाराणा प्रताप के बारे में रोचक तथ्य - Interesting Facts about Maharana Pratap, इसमें महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी दी गई है।

Interesting Facts about Maharana Pratap

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गुलामी का जीवन तो सभी जी सकते हैं लेकिन अपने सुखों को त्यागकर, संघर्ष का जीवन जीने वाले को  महाराणा प्रताप कहते हैं।

जब भी कभी त्याग और बलिदान के साथ स्वाभिमान की बात होती है तो सबसे पहले महाराणा प्रताप का जिक्र होता है।

लोग जब हल्दीघाटी जाते हैं तो वहाँ की मिट्टी को अपने माथे से लगाना नहीं भूलते हैं। देश विदेश से आने वाले टूरिस्ट इस मिट्टी को अपने साथ लेकर जाते हैं।

आज हम वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े हुए कुछ ऐसे ही महत्वपूर्ण पहलुओं को जानने वाले हैं जिनकी वजह से हम महाराणा प्रताप के जीवन को ढंग से समझ पाएंगे।

तो आइए शुरू करते हैं।

1. महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 यानी विक्रम संवत 1597 को ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया के दिन कुंभलगढ़ के दुर्ग में हुआ था।

आप आज भी कुंभलगढ़ के दुर्ग में महाराणा प्रताप की जन्म स्थली को देख सकते हैं। यह जन्म स्थली बादल महल के पास में ही झाली रानी के महल में है।

2. महाराणा उदयसिंह के 25 बेटे और 20 बेटियाँ थीं, जिनमें कुँवर प्रताप सबसे बड़े पुत्र थे। प्रताप की माता का नाम जयवंता बाई (जीवंत कँवर) था। जयवंता बाई अखेराज सोनगरा की पुत्री थी।

3. 1540 में प्रताप का जन्म होने के बाद महाराणा उदयसिंह का भाग्योदय होने लगा। प्रताप के जन्म के वक्त ही महाराणा उदय सिंह ने बनवीर को हराकर चित्तौड़ पर अधिकार किया था।

4. कुँवर प्रताप का बचपन चित्तौड़गढ़ और कुंभलगढ़ दोनों जगहों पर बीता था। उनके बचपन में एक समय ऐसा भी आया जब उदय सिंह की एक और रानी धीर बाई भटियानी की साजिश के चलते कुँवर प्रताप को अपनी माँ के साथ चित्तौड़ दुर्ग के नीचे तलहटी में रहना पड़ा।

5. दुर्ग के पाडनपोल के पास एक बावड़ी बनी हुई है जिसे झालीबाव कहा जाता है। इसे महाराणा उदय सिंह की रानी ने यानी शायद कुँवर प्रताप की माताजी ने बनवाया था। महाराणा प्रताप बचपन में कुछ समय तक यहाँ रहे थे।

6. कुँवर प्रताप जन्म से ही अपनी माँ के ज्यादा करीब रहे इसलिए इनकी शुरुआती शिक्षक उनकी माता जयवंता बाई ही थी। इन्होंने कुँवर प्रताप को घुड़सवारी, युद्ध कौशल के साथ प्रशासनिक दक्षता की प्रारम्भिक शिक्षा भी दी।

7. महाराणा प्रताप का बचपन भील समुदाय में बीता था। भील समुदाय में बच्चों को कीका कहकर पुकारा जाता है इसलिए महाराणा प्रताप को भी बचपन में कीका नाम से भी पुकारा जाता था।

8. अपनी युवावस्था में ही कुँवर प्रताप ने वागड़ और गोड़वाड़ क्षेत्र पर अधिकार करके अपनी सैन्य रणनीति और युद्ध कौशल का परिचय दे दिया था।

महाराणा प्रताप के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे युद्ध में 200 किलो से भी ज्यादा वजन उठाकर लड़ते थे। इनके भाले का वजन 81 किलो और कवच का वजन 72 किलो था।

भाले और कवच के अलावा इनके पास दो तलवारें, ढाल, कटार आदि भी हुआ करते थे। महाराणा प्रताप के ये सभी हथियार उदयपुर के सिटी पैलेस म्यूजियम  में आज भी रखे हुए हैं।

सिटी पेलेस म्यूजियम के अनुसार महाराणा प्रताप के भाले, तलवारों और कवच समेत दूसरे हथियारों का कुल वजन 35 किलो है।

इसके अनुसार महाराणा प्रताप के भाले का वजन लगभग 3 किलो, दो तलवारों में एक का वजन लगभग पौने दो किलो और दूसरी का दो किलो, कवच का वजन लगभग सवा 16 किलो, ढाल का वजन लगभग ढाई किलो था।

9. 1568 ईस्वी में चित्तौड़ पर मुगल बादशाह अकबर का अधिकार हो जाने पर महाराणा उदय सिंह अपने परिवार के साथ चित्तौड़ छोड़ कर गोगुन्दा आ गए थे।

10. 28 फरवरी 1572 यानी विक्रम संवत 1629 की फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होली के दिन महाराणा उदय सिंह का देहावसान हो जाने पर गोगुन्दा की महादेव बावड़ी पर महाराणा प्रताप का राजतिलक हुआ।

11. गोगुन्दा में राजतिलक होने के कुछ समय के बाद कुंभलगढ़ में राजकीय परंपरा के अनुसार महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक का उत्सव मनाया गया। इस प्रकार महाराणा प्रताप का दो बार राजतिलक हुआ।

12. जब अकबर ने महाराणा प्रताप को उसकी अधीनता स्वीकार करने का प्रस्ताव भेजा तो महाराणा प्रताप ने मना कर दिया जिसका नतीजा हल्दीघाटी के युद्ध के रूप में सामने आया।

13. हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 ईस्वी में महाराणा प्रताप के नेतृत्व में मेवाड़ी सेना और मान सिंह के नेतृत्व में मुगल सेना के बीच खमनौर गाँव के पास हल्दीघाटी नामक जगह पर हुआ।

14. हल्दीघाटी के युद्ध में दोनों तरफ के हजारों सैनिक मारे गए। युद्ध भूमि में रक्त का तालाब भर गया जिस वजह से हल्दीघाटी की युद्ध भूमि को रक्त तलाई के नाम से जाना जाता है।

15. हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक ने महाराणा प्रताप सहित 22 फीट के नाले को एक छलांग में पार करने के बाद दम तोड़ दिया। चेतक की मृत्यु पर महाराणा प्रताप बहुत दुखी हुए।

16. हल्दीघाटी के युद्ध को अबुल फजल ने खमनौर का युद्ध, बदायूनी ने गोगुन्दा का युद्ध और कर्नल जेम्स टॉड ने इसे हल्दीघाटी का युद्ध कहा। कर्नल जेम्स टॉड ने हल्दीघाटी को मेवाड़ की थर्मोपल्ली कहा है।

17. हल्दीघाटी के युद्ध के बाद महाराणा प्रताप और अकबर की मुगल सेना के बीच लगातार संघर्ष चलता रहा। महाराणा प्रताप अपनी  छापामार युद्ध नीति से इनका मुकाबला करते रहे।

18. महाराणा प्रताप ने जावर, कमलनाथ और गोगुन्दा के आस पास अपने कई ठिकाने बना रखे थे। इन ठिकानों में से गोगुन्दा के पास मायरा की गुफा महाराणा प्रताप के शस्त्रागार के रूप में प्रसिद्ध है।

19. अकबर से संघर्ष के दिनों में महाराणा प्रताप को जंगल में रहना पड़ा। कहते हैं कि जंगल में इनके परिवार को घास की रोटियाँ तक खानी पड़ी।

20. 1582 ईस्वी में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप और दिवेर के मुगल थाने के मुखिया सुलतान खाँ की सेना के बीच दिवेर का युद्ध हुआ।

21. कहते हैं कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने तलवार के एक ही वार से बहलोल खाँ को उसके घोड़े सहित चीर डाला था। कर्नल टॉड ने इस युद्ध को मेवाड़ का मैराथन कहा है।


22. दिवेर के युद्ध के बाद महाराणा प्रताप ने 1585 ईस्वी तक छप्पन के पहाड़ी क्षेत्र पर अधिकार करके चावंड को अपनी तीसरी राजधानी बनाया। चावंड से पहले गोगुन्दा और कुंभलगढ़ दोनों मेवाड़ की शक्ति के केंद्र थे।

23. महाराणा प्रताप ने अपने जीवन के अंतिम 12 वर्ष चावंड में ही काटे। इन 12 वर्षों में कोई युद्ध नहीं हुआ जिसकी वजह से कला और साहित्य का विकास हुआ।

24. माघ शुक्ल एकादशी विक्रम संवत 1653 यानी 19 जनवरी 1597 ईस्वी को चावंड में चोट लग जाने के कारण महाराणा प्रताप की मृत्यु हुई।

25.चावंड से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर बन्डोली गाँव में तीन नदियों के संगम स्थल पर केजड़ झील के बीच में महाराणा प्रताप का दाह संस्कार किया गया।

तो आज बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। ऐसी ही नई-नई जानकारियों के लिए हमसे जुड़े रहें।

जल्दी ही फिर मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ। तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

महाराणा प्रताप के बारे में 25 रोचक तथ्य का वीडियो - Video of 25 interesting facts about Maharana Pratap



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Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I am a registered pharmacist. I am a Pharmacy Professional having M Pharm (Pharmaceutics). I also have MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA and CHMS. Being a healthcare professional, I want to educate people to live a healthy life by providing health education to them. I also aware people about their lifestyle and eating habits by providing healthcare and wellness tips. Being a creator, I provide useful healthcare information in the form of articles and videos on various topics such as physical, mental, social and spiritual health, lifestyle, eating habits, home remedies, diseases and medicines. Usually, I travel at hidden historical heritages to feel the glory of our history. I also travel at various beautiful travel destinations to feel the beauty of nature.

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