यहाँ है बिल्ली जैसे मुँह वाली लाखों मछलियाँ - Hamerpal Lake Fish Point Kumbhalgarh

यहाँ है बिल्ली जैसे मुँह वाली लाखों मछलियाँ - Hamerpal Lake Fish Point Kumbhalgarh, इसमें राणा हम्मीर द्वारा बनवाए गए तालाब के बारे में जानकारी दी है।

Hamerpal Lake Fish Point Kumbhalgarh

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आपको कितना मजा आएगा जब आप किसी तालाब के पास जाएँ और अचानक से आपके सामने हजारों मछलियाँ आ जाएँ? इसके बाद जब आपको ये पता चले कि ये मछलियाँ अलग टाइप की हैं, जिनका मुँह बिल्ली की तरह है, तब आपका रिएक्शन क्या होगा?

मेरे ख्याल से आप कहेंगे कि मजा आ जाएगा। आप यहाँ पर जरूर जाना चाहेंगे। तो आज हम आपको लगभग 700 वर्ष पुरानी एक ऐसी जगह पर ले जाने वाले हैं जो ऐतिहासिक होने के साथ-साथ मनोरंजन के लिए भी प्रसिद्ध है।

तो आइए चलते हैं इस जगह और जानते हैं इन बिल्ली के मुँह जैसी मछलियों के बारे में, साथ ही जानते हैं इस जगह का इतिहास। तो आइए शुरू करते हैं।

हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट की यात्रा और विशेषता - Tour and Speciality of Hamerpal Lake Fish Point


अरावली के पहाड़ों के बीच यह जगह एक बड़ा तालाब है जिसका नाम हमेरपाल तालाब या हमेरपाल झील है। इसे फिश पॉइंट के नाम से भी जाना जाता है।

इस तालाब का पानी 12 महीने भरा रहता है। तालाब के आस पास जंगली एरिया है जिसमें पैन्थर के साथ दूसरे कई तरह के जंगली जानवर रहते हैं।

अकसर ये जानवर रात के समय इस तालाब में पानी पीने आते रहते हैं। गाँव में रहने वाले लोग बताते हैं कि उन्होंने तालाब में कई बार रात के समय पैन्थर को पानी पीते देखा है।

इस तालाब के एक किनारे पर काफी लंबी पाल बनी हुई है। पाल से तालाब तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई है। पाल के निर्माण को देखकर लगता है कि यह कई सदियों पहले बनाई गई है।

सीढ़ियों से उतरकर जैसे ही आप तालाब के पानी के पास जाते हैं, वैसे ही हजारों की संख्या में मछलियाँ आपके सामने आने लगती है। तालाब में दूर-दूर तक मछलियाँ ही मछलियाँ दिखाई देती हैं।

ऐसा बताया जाता है कि इस तालाब में लाखों की संख्या में मछलियाँ मौजूद है। ये मछलियाँ सामान्य मछलियाँ नहीं है, यानी ये मछलियाँ दूसरे तालाबों में पाई जाने वाली मछलियों से अलग है।

जी हाँ, ये मछलियाँ भारत की  नहीं है, ये विदेशी है। इन्हें अफ्रीकन कैटफिश के नाम से जाना जाता है। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनका मुँह बिल्ली के मुँह की तरह दिखता है।

जैसे ही आप तालाब में इनके लिए दाना डालते हैं वैसे ही आपके सामने एक के ऊपर एक हजारों मछलियाँ आने लग जाती है। अगर आप खूब सारे दाने एक साथ डालते हैं तो उस जगह का नजारा देखने लायक होता है।

बच्चे इन मछलियों को देखकर बड़े खुश होते हैं। इतनी सारी मछलियों को एक साथ देखकर बच्चे खुशी से चीख पड़ते हैं।

इतनी मछलियाँ देखकर आपके दिमाग में भी यह प्रश्न जरूर आ रहा होगा कि आखिर यहाँ पर इतनी विदेशी मछलियाँ आई कैसे?


इस तालाब में इतनी सारी मछलियाँ होने की सबसे बड़ी वजह यहाँ पर मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध होना है। गाँव के लोग इन मछलियों की देखभाल करते हैं और शिकार नहीं होने देते।

तालाब की पाल पर लक्ष्मीनारायण भगवान का मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर एक गढ़ की आकृति में बना हुआ है जिसके दोनों तरफ बुर्ज बनी हुई है।

मंदिर परिसर में दो छोटे मंदिर और बने हुए हैं। मुख्य मंदिर के बाहर काले पत्थर से निर्मित गरुड़ जी विराजमान है। मंदिर के अंदर भगवान लक्ष्मीनारायण बैठे हैं।

हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट का इतिहास - History of Hamerpal Pond Fish Point


जैसा कि हम जानते हैं कि चित्तौड़ के दुर्ग पर अधिकार करने के लिए दिल्ली के सुलतान अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ के रावल रतन सिंह के साथ 1303 ईस्वी में भयंकर युद्ध किया।

इस युद्ध को अलाउद्दीन खिलजी ने जीता और चित्तौड़ के दुर्ग पर अपना अधिकार कर लिया।

युद्ध में राजपूत योद्धाओं ने साका कर अपनी जान दे दी वही रानी पद्मिनी की अगुवाई में राजपूत वीरांगनाओं ने जौहर कर अपने प्राण त्यागे। 

इस युद्ध के बाद चित्तौड़ से गुहिल वंश की रावल शाखा का अंत हो गया। बाद में मेवाड़ के सिसोदा (Shishoda) गाँव में रहने वाले गुहिल वंश की राणा शाखा के राणा हम्मीर सिंह ने खिलजियों से युद्ध कर चित्तौड़ दुर्ग पर वापस कब्जा किया।

इन्हीं राणा हम्मीर सिंह ने तेरहवीं शताब्दी में इस हमेरपाल तालाब और इसके घाटों का निर्माण करवाया था। शुरू में इसे राणा हम्मीर के नाम पर हम्मीरपाल कहा जाता था लेकिन धीरे-धीर इसका नाम हमेरपाल हो गया।

राणा हम्मीर सिंह ने ही कुंभलगढ़ के पास स्थित केलवाड़ा गाँव को बसाया था।

ऐसा बताया जाता है कि अकबर के समय जब कुंभलगढ़ के दुर्ग पर मुगलों का कब्जा हो गया था तब अकबर की सेना ने इस तालाब पर एक मुगल चौकी बना ली थी।

बाद में जब महाराणा प्रताप ने कुंभलगढ़ के दुर्ग पर वापस अधिकार करने के लिए युद्ध लड़ा तब उन्होंने हमेरपाल तालाब की इस मुगल चौकी पर भी कब्जा किया था।

हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट का समय - Hamerpal Pond Fish Point Timings


वैसे इस तालाब पर जाने का ऐसा कोई विशेष समय नहीं है। आप यहाँ सुबह से शाम तक कभी भी जा सकते हैं। जंगली एरिया होने की वजह से सूर्यास्त के बाद यहाँ रुकना ठीक नहीं है।

हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट में प्रवेश शुल्क - Entry fee to Hamerpal Talab Fish Point


हमेरपाल तालाब में प्रवेश के लिए कोई एंट्री फीस नहीं है। यहाँ पर प्रवेश पूरी तरह से निशुल्क है।

हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट के पास घूमने की जगह - Places to visit near Hamerpal Talab Fish Point


हमेरपाल तालाब के पास में तलाद्रि या तलादरी (Taladari) का तालाब, कुंभलगढ़ का दुर्ग और उसके आगे परशुराम महादेव का मंदिर है जहाँ पर घूमने के लिए जाया जा सकता है।

हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट कैसे जाएँ? - How to reach Hamerpal Talab Fish Point?


अगर कुंभलगढ़ फोर्ट देखने जा रहे हैं तो आपको हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट पर जरूर जाना चाहिए क्योंकि ये आपके रास्ते में ही आता है।

आपको कुंभलगढ़ जाने के लिए केलवाड़ा होकर जाना पड़ता है। हमेरपाल तालाब की केलवाड़ा से दूरी लगभग 4 किलोमीटर ही है। यहाँ जाने के लिए केलवाड़ा से पहले राइट साइड में जाना होगा।

उदयपुर से हमेरपाल तालाब की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। हमेरपाल तालाब से कुंभलगढ़ की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है।

अगली बार आप जब भी कुंभलगढ़ जाएँ तो हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट पर जरूर जाकर आएँ। आपको ये जगह जरूर पसंद आएगी।

हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट की मैप लोकेशन - Map Location of Hamerpal Talab Fish Point



हमेरपाल तालाब फिश पॉइंट का वीडियो - Video of Hamerpal Talab Fish Point



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I love to see old historical monuments closely, learn about their history and stay close to nature. Whenever I get a chance, I leave home to meet them. The monuments that I like to see include ancient forts, palaces, stepwells, temples, chhatris, mountains, lakes, rivers etc. I also share with you the monuments that I see through blogs and videos so that you can also benefit a little from my experience.

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