गणेश्वर में थी हड़प्पा से भी पुरानी सभ्यता - Ganeshwar Civilization

गणेश्वर में थी हड़प्पा से भी पुरानी सभ्यता - Ganeshwar Civilization, इसमें नीमकाथाना के पास गणेश्वर की ताम्रयुगीन सभ्यता की जानकारी दी गई है।

Ganeshwar Civilization

{tocify} $title={Table of Contents}

ऐतिहासिक रूप से राजस्थान अत्यंत समृद्ध राज्य है। यहाँ, पग-पग पर किले, बावड़ी, छतरियाँ, हवेलियाँ आदि बहुतायत में मौजूद है।

राजस्थान पुरातात्विक रूप से भी काफी समृद्धशाली राज्य है। यहाँ पर कालीबंगा, आहड़, बैराठ तथा गणेश्वर सहित अनेक सभ्यताओं ने जन्म लिया। इन सभी सभ्यताओं में गणेश्वर सभ्यता का विशेष महत्व है।

वर्तमान में यह सभ्यता, सीकर जिले की नीमकाथाना तहसील में स्थित है। इस स्थान की खोज वर्ष 1972 में रतन चन्द्र अग्रवाल द्वारा की गई तथा वर्ष 1977 में इनकी देखरेख में इसका उत्खनन हुआ।

खुदाई में ताम्बे के लगभग एक हजार उपकरण प्राप्त हुए हैं जिनमें औजार, आभूषण और बर्तन प्रमुख है। प्राप्त उपकरणों में मछली पकड़ने का काँटा, तांबे से बनी हुई कुल्हाड़ी, बाण, भाला, तलवार तथा सुइयाँ प्रमुख है।

खनन कार्य से पता चला कि यहाँ ईसा पूर्व 2800 वर्ष पूर्व एक उन्नत सभ्यता मौजूद थी। यह सभ्यता उस समय नित्यवाही कांतली नदी के मुहाने पर स्थित थी।

इस सभ्यता को ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहाँ से प्राप्त ताम्बा सर्वाधिक प्राचीन है। यह सभ्यता हड़प्पा से भी पुरानी सभ्यता थी। हड़प्पा कालीन नगरों में ताम्बे की सप्लाई मुख्यतया यहीं से हुआ करती थी।

इस सभ्यता का सम्बन्ध झुन्झुनू जिले के सुनारी से भी माना जाता है। सुनारी में ताम्बा गलाने की भट्टी मिली है जिसकी वजह से इसे गणेश्वर का उप केन्द्र कहा जाता है। गणेश्वर को पुरातत्व का पुष्कर भी कहा जाता है।

यहाँ पर मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं जिन्हें कथि मृद्पात्र या कपिश वर्णी मृद्पात्र कहा जाता है। ये मृद्पात्र लाल रंग के हैं जिनपर काले और नीले रंग की कढ़ाई मौजूद है।


गणेश्वर में मकान केवल पत्थर के बने होते थे। पहाड़ी पर मौजूद सैकड़ों वर्ष पुरानी पत्थर की बनी हुई हवेलियाँ आज भी इस बात का प्रमाण है । इन हवेलियों पर बहुत ही आकर्षक भित्तिचित्र बने हुए हैं।

अधिकतर हवेलियाँ अब केवल खंडहर में तबदील हो गई है, जिनमें चमगादड़ों ने अपना निवास बना रखा है। बड़ी-बड़ी हवेलियाँ देखकर गणेश्वर के राजसी वैभव का अंदाजा लगाया जा सकता है।

शायद इनके पुरखे तांबे की बनी हुई चीजों का व्यापार करते होंगे। इन हवेलियों के मालिक अपनी मूल जगह छोड़कर अन्यत्र चले गए हैं क्योंकि बहुत सी हवेलियाँ लावारिस सी प्रतीत होती है।

गणेश्वर ही एकमात्र ऐसी जगह है जहाँ पर पत्थर के बाँध होने के साक्ष्य मिले हैं। बाँध के साक्ष्य यहाँ पर जल की प्रचुरता को दर्शाते हैं।

आज जिस प्रकार यह क्षेत्र पानी के लिए तरस रहा है उसे देखकर यह कतई नहीं लगता कि कभी यहाँ नदी बहती थी और यहाँ पर बाँध भी हुआ करता था।

गणेश्वर की सभ्यता की मैप लोकेशन - Map Location of Ganeshwar Civilization



गणेश्वर की सभ्यता का वीडियो - Video of Ganeshwar Civilization



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

सोशल मीडिया पर हमसे जुड़ें (Connect With Us on Social Media)

घूमने की जगहों की जानकारी के लिए हमारा व्हाट्सएप चैनल फॉलो करें
घूमने की जगहों की जानकारी के लिए हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I love to see old historical monuments closely, learn about their history and stay close to nature. Whenever I get a chance, I leave home to meet them. The monuments that I like to see include ancient forts, palaces, stepwells, temples, chhatris, mountains, lakes, rivers etc. I also share with you the monuments that I see through blogs and videos so that you can also benefit a little from my experience.

Post a Comment

Previous Post Next Post