इस जगह हुआ भगवान कृष्ण का मुंडन संस्कार - Ambikeshwar Mahadev Mandir Amer Jaipur

इस जगह हुआ भगवान कृष्ण का मुंडन संस्कार - Ambikeshwar Mahadev Mandir Amer Jaipur, इसमें जयपुर के आमेर में स्थित प्राचीन शिव मंदिर की जानकारी है।

Ambikeshwar Mahadev Mandir Amer Jaipur

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आज हम आपको एक ऐसे शिव मांदिर की यात्रा करवाने वाले हैं जिसमें महादेव शिवलिंग के बजाय शिला रूप में ध्यान की मुद्रा में है।

बारिश के मौसम में मंदिर में लगभग 8-10 फीट तक पानी भर जाता है और भोलेनाथ पानी के अंदर जल समाधि ले लेते  हैं। भोलेनाथ के कोई जलहरी नहीं है और मंदिर के पास में बने हुए एक बड़े कुंड को मंदिर की जलहरी माना जाता है।

कहते हैं कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण अपने पालक पिता नन्द बाबा के साथ शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ के दर्शन के लिए यहाँ आए थे और इस मंदिर में ही उनका मुंडन संस्कार हुआ था।

ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर सात हजार साल से भी ज्यादा पुराना है और इसका उल्लेख भागवत और शिव पुराण में भी हुआ है।

अंबिका वन से घिरे इस मंदिर को कछवाहा राजवंश के कुल देवता का मंदिर माना जाता है और जिस नगर में ये बना हुआ है उसका नाम भी महादेव के इस मंदिर के नाम पर ही पड़ा है।

तो आज हम आमेर के अंदर स्थित भोलेनाथ के इस अद्भुत अंबिकेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा करते हैं और इसके इतिहास को जानते हैं, आइए शुरू करते हैं।

अंबिकेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा और विशेषता - Visit and specialty of Ambikeshwar Mahadev Temple


चारों तरफ अरावली की पहाड़ियों से घिरे इस मंदिर के अंदर के दरवाजे पर भगवान गणेश अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। दरवाजे के पास ही एक ऊँची मीनार बनी है जिस पर मंदिर की ध्वजा फहरा रही है।

बताया जाता है कि प्राचीन काल में इस मीनार पर प्रकाश के लिए एक बड़ा दीपक जलाया जाता था। मंदिर के शिखर पर अटूट यंत्र स्थापित करके इसे विशेष मंत्रों से अभिमंत्रित किया हुआ है।

मंदिर में कुल 14 स्तम्भ और 6 गुंबद बने हुए हैं जिसके सभी गुंबदों पर भगवान विष्णु के दशावतार की मूर्तियाँ लगी हैं। मंदिर को वस्तु दोष से मुक्त रखने के लिए सभी गुंबदों पर शेर की प्रतिमा भी मौजूद है।

मंदिर जमीन से लगभग 7 से 22 फीट नीचे बना हुआ है। मंदिर में प्रवेश के लिए ऊपर से नीचे की तरफ जाना पड़ता है। नीचे सभामंडप तक जाने के लिए कुल 22 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं।

मंदिर के गर्भगृह में भोलेनाथ लिंग रूप में ना होकर स्वयंभू शिला रूप में मौजूद हैं। भोलेनाथ यहाँ पर ध्यान मुद्रा में हैं इसलिए इस जगह को ध्यान लगाने के लिए काफी उपयुक्त जगह माना जाता है, हम इसे ध्यान केंद्र भी कह सकते हैं।

मंदिर में भोलेनाथ एक ऐसी भौगोलिक स्थिति में विराजमान हैं कि साल में दो बार जब सूरज उत्तरायण और दक्षिणायन होता है तब इसकी किरणे भोलेनाथ का सीधा अभिषेक करती हैं।


मंदिर की खास बात यह है कि इसमें कोई जलहरी नहीं बनी हुई है। मंदिर के पास बने पन्ना मीणा कुंड को शिला रूप में विराजे भोलेनाथ की जलहरी माना जाता है। इसी वजह से पन्ना मीणा कुंड के जल को बड़ा पवित्र जल माना जाता है।

बारिश के मौसम में जब अच्छी बरसात होती है तब मंदिर में भोलेनाथ की शिला के आसपास की जमीन से पानी बाहर निकलने लग जाता है और भोलेनाथ जल में समाधि ले लेते हैं।

कई सालों बाद इस साल अच्छी बारिश होने से भोलेनाथ ने जल समाधि ली है जिसकी वजह से मंदिर में अभी भी पानी भरा हुआ है। इससे पहले साल 2009 और 2013 में भोलेनाथ ने जल समाधि ली थी।

मंदिर की एक विशेष बात यह है कि इसमें ढाई सौ सालों से चल रही तमाशा शैली परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है। इस परंपरा में गोपीचंद भृतहरी जैसा तमाशा किया जाता है।

मंदिर और इसके आसपास की जगह पर कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है जिसमें धड़क, भूल भुलैया जैसी फिल्में शामिल हैं।

अंबिकेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास - History of Ambikeshwar Mahadev Temple


अगर हम अंबिकेश्वर महादेव के इतिहास के बारे में बात करें तो इस मंदिर का इतिहास करीब सात हजार साल पुराना बताया जाता है। बताते हैं कि इस मंदिर के बारे में भागवत और शिव पुराण में भी वर्णन है।

प्राचीन समय में इन आमेर की पहाड़ियों के चारों तरफ घना जंगल हुआ करता था जिसे अंबिका वन कहा जाता था। इस अंबिका वन के बीच में अब के आमेर की जगह एक नगर बसा हुआ था।

इस नगर पर इक्ष्वाकु वंश के राजा अम्बरीष का शासन था। भोलेनाथ के इस मंदिर का निर्माण राजा अम्बरीष ने कराया था जिस वजह से इसका नाम अंबिकेश्वर महादेव मंदिर पड़ा।

इस मंदिर का इतिहास भगवान कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण अपने पालक पिता नन्द बाबा के साथ शिवरात्रि की पूजा के लिए इस जगह आए थे।

उस समय अंबिकेश्वर महादेव के इस मंदिर में ही उनका मुंडन संस्कार सम्पन्न हुआ था। पास में नाहरगढ़ पहाड़ी पर श्रीकृष्ण ने अपने दाहिने पैर से एक ऋषि के श्राप से अजगर बने सुदर्शन नाम के विद्याधर का उद्धार किया था।

नाहरगढ़ की पहाड़ी पर आज भी भगवान श्रीकृष्ण ने दाहिने पैर के चरण मौजूद हैं। अब इस जगह पर एक मंदिर बना हुआ है जिसे चरण मंदिर कहते हैं।

ऐसा माना जाता है कि ग्यारहवीं शताब्दी में इस जगह पर कछवाहा राजा काकिलदेव ने वर्तमान अंबिकेश्वर महादेव मंदिर को खुदाई करके निकलवाया और विधिवत स्थापित किया ।

इसके बाद से अंबिकेश्वर महादेव कछवाहा राजवंश के कुलदेवता बन गए। बाद में जब कछवाहा राजपूतों की राजधानी जमवारामगढ़ से यह नगरी बनी तब यह जगह आंबेर या आमेर के रूप में पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गई।

अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के पास घूमने की जगह - Places to visit near Ambikeshwar Mahadev Temple


अगर हम अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप इसके पास पन्ना मीणा कुंड, सागर झील, जगत शिरोमणि मंदिर और आमेर का किला आदि देख सकते हैं।

अंबिकेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Ambikeshwar Mahadev Temple?


अब हम बात करते हैं कि अंबिकेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ? यह मंदिर जयपुर के आमेर में सागर रोड़ पर पन्ना मीणा कुंड के पास बना हुआ है

जयपुर रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। इस मंदिर तक आप कार या बाइक से जा सकते हैं।

जयपुर रेलवे स्टेशन से आपको जलमहल होते हुए आमेर महल तक आना होगा। अगर आप कार से आ रहे हैं तो आपको आमेर महल से आगे पहले चौराहे से थोड़ा आगे तिराहे से लेफ्ट लेकर अनोखी म्यूजियम के पास से लेफ्ट लेकर पन्ना मीणा कुंड से थोड़ा आगे खुले चौक में आना है।

इसी चौक में यह मंदिर बना हुआ है। यहाँ से वापस जाते समय आपको इधर से ही आगे लेफ्ट टर्न लेकर मुख्य सड़क के चौराहे पर आना है। फिर यहाँ से राइट टर्न लेकर आमेर महल के सामने वाली सड़क से वापस जलमहल होते हुए आना है।

किसी भी परेशानी से बचने के लिए ध्यान रखें कि अगर आप कार से जा रहे हैं तो आमेर महल के आगे से रास्ता जाने का अलग है और आने का अलग है।

अगर आप धार्मिक ऐतिहासिक स्थलों को देखने के शौकीन हैं तो आपको हजारों साल पुराने अंबिकेश्वर महादेव के इस मंदिर में जरूर जाना चाहिए।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

अंबिकेश्वर महादेव मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Ambikeshwar Mahadev Jaipur



अंबिकेश्वर महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Ambikeshwar Mahadev Jaipur



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Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I am a registered pharmacist. I am a Pharmacy Professional having M Pharm (Pharmaceutics). I also have MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA and CHMS. Being a healthcare professional, I want to educate people to live a healthy life by providing health education to them. I also aware people about their lifestyle and eating habits by providing healthcare and wellness tips. Being a creator, I provide useful healthcare information in the form of articles and videos on various topics such as physical, mental, social and spiritual health, lifestyle, eating habits, home remedies, diseases and medicines. Usually, I travel at hidden historical heritages to feel the glory of our history. I also travel at various beautiful travel destinations to feel the beauty of nature.

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