2025 में खाटू श्याम रथयात्रा किस दिन निकलेगी? - Khatu Shyam Rathyatra Kis Din Nikalegi?

2025 में खाटू श्याम रथयात्रा किस दिन निकलेगी? - Khatu Shyam Rathyatra Kis Din Nikalegi?, इसमें  श्याम मंदिर से निकलने वाली रथयात्रा की जानकारी है।

2025 Mein Khatu Shyam Rathyatra Kab Nikalegi?

{tocify} $title={Table of Contents}

अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए एकादशी के दिन यानी गुरुवार को बाबा श्याम खाटू धाम में नगर भ्रमण पर निकलेंगे। बाबा अपनी हवेली से नीले घोड़े से सुसज्जित रथ पर सवार होकर शाही सवारी के रूप में खाटू नगरी की यात्रा करेंगे।

2025 में खाटू श्याम रथयात्रा कब निकलेगी? - 2025 Mein Khatu Shyam Rathyatra Kab Nikalegi?


ध्यान रहे कि बाबा श्याम केवल फाल्गुन के महीने में लक्खी मेले के समय शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही भक्तों को दर्शन देने के लिए रथयात्रा के रूप में नगर भ्रमण पर निकलते हैं।

पूरे वर्ष में सिर्फ एक यही दिन होता है जब आप बाबा श्याम के दर्शन मंदिर के बाहर भी कर सकते हो। इस दिन के अलावा बाकी सभी दिन श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन के लिए मंदिर में जाना पड़ता है।

इस रथ यात्रा में हजारों की संख्या में भक्तजन नाचते गाते, गुलाल उड़ाते चलते हैं। इस दौरान भक्तों में रथ को एक बार छूने की होड़ मची रहती है।

ऐसा माना जाता है कि रथयात्रा के दौरान बाबा के रथ को छूने से बाबा का विशेष आशीर्वाद मिलता है और सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।

खाटू रथयात्रा का ये है मार्ग, This is the route of Khatu Rath Yatra


श्याम रथयात्रा मंदिर से शुरू होकर विभिन्न मार्गों से होती हुई पुन: मंदिर पहुँचेगी। मंदिर से निकलकर बाबा का रथ, सुनारों का मोहल्ला, खातियों के मोहल्ले से होता हुआ अस्पताल चौराहे से पुराने बस स्टैन्ड होते हुए मुख्य बाजार में आएगा।

रथ यात्रा का मार्ग खाटूश्याम मंदिर प्रांगण - मिश्रा मोहल्ला - खातियों का मोहल्ला - अस्पताल चौराहा - पुराना बस स्टैन्ड - मुख्य बाजार है।

खाटू रथयात्रा में लुटाया जाता है प्रसाद का खजाना, Prasad treasure is looted in Khatu Rath Yatra


इसके साथ ही रथयात्रा में खजाने के रूप में बाबा के प्रसाद को लेने की होड़ मची रहती है। ध्यान रहे कि रथ यात्रा से पहले मंदिर कमेटी की तरफ से बाबा श्याम को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। 

56 भोग के लिए नए बर्तन खरीदे जाते हैं और इसे मंदिर परिसर में ही तैयार करवाया जाता है। इन बर्तनों को दोबारा काम में नहीं लिया जाता है। भोग के बाद इन्हें भक्तों और जरूरतमंद लोगों में बाँट दिया जाता है।

लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

सोशल मीडिया पर हमसे जुड़ें (Connect With Us on Social Media)

हमारा व्हाट्सएप चैनल फॉलो करें
हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I love to see old historical monuments closely, learn about their history and stay close to nature. Whenever I get a chance, I leave home to meet them. The monuments that I like to see include ancient forts, palaces, stepwells, temples, chhatris, mountains, lakes, rivers etc. I also share with you the monuments that I see through blogs and videos so that you can also benefit a little from my experience.

Post a Comment

Previous Post Next Post